मोंगाबे हिंदी, 25 मई इस साल मार्च में हुई भारी बारिश के चलते कई राज्यों में गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है। पिछले साल भीषण गर्मी के चलते गेहूं उत्पादन पर असर पड़ा था। इस वजह से केंद्र सरकार भी नुकसान की समीक्षा कर रही है। घरेलू आपूर्ति में कमी की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गेहूं का निर्यात फिर शुरू करने से इंकार कर दिया है।...
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छत्तीसगढ़ः हाथियों की सिर्फ 1% आबादी के बावजूद क्यों बढ़ रहा है मानव-हाथी संघर्ष
मोंगाबे हिंदी, 24 मई छत्तीसगढ़ के बालोद ज़िले के कुंजकन्हार गांव की रहने वाली 60 साल की गीताबाई को शायद अनुमान नहीं रहा होगा कि घर से सुबह-सुबह बाहर निकलना उनके लिए जानलेवा साबित होगा। 16 मई की सुबह जब वो घर से निकल कर खेत की ओर गईं तभी एक जंगली हाथी ने उन्हें कुचल कर मार डाला। इसी तरह 15 मई की सुबह सुरजपुर ज़िले के बगड़ा गांव के 55...
More »उत्तराखंड: जोशीमठ संकट के चार महीने बाद किस हाल में हैं प्रभावित लोग
मोंगाबे हिंदी, 22 मई “हमें अपने खेतों और पशुओं की देखभाल के लिए दिन में कई बार अपने राहत शिविर से अपने घर आना पड़ता था और अब तो शिविर में खाना भी नहीं मिल रहा इसलिए अब हम दिनभर अपने घर में ही रहते हैं,” जोशीमठ के वार्ड क्रमांक 07 (सुनील गांव) की रहने वाली सुनैना सकलानी कहती हैं। उत्तराखंड के चमोली जिले में बसे जोशीमठ शहर में इस साल जनवरी...
More »त्रिपुरा की रानी अनानास सहित पूर्वोत्तर के 13 फलों और सब्जियों को मिला जीआई टैग
रूरल वॉयस, 15 मई त्रिपुरा की रानी अनानास सहित पूर्वोत्तर में उगाई जाने वाली 13 फलों और सब्जियों को जीआई टैग मिला है। केंद्रीय उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय के अधीन आने वाले पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनईआरएएमएसी) के इस ऐतिहासिक पहल के तहत पूर्वोत्तर के 800 किसानों को जीआई टैग का इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत किया गया है। इन फलों और सब्जियों पर इन किसानों का बौद्धिक संपदा अधिकार...
More »सेब के सस्ते आयात पर लगी रोक, न्यूनतम आयात मूल्य 50 रुपये किलो तय, बागवानों को मिलेगी बड़ी राहत
रूरल वॉयस, 9 मई सेब उत्पादकों को राहत देते हुए केंद्र सरकार ने सेब के सस्ते आयात पर रोक लगा दी है। अब 50 रुपये प्रति किलो से कम कीमत वाले सेब का आयात नहीं हो सकेगा। इस फैसले से हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और उत्तराखंड के सेब उत्पादकों को बड़ी राहत मिलेगी। विदेशों से सस्ते आयात के चलते घरेलू उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ रहा था और वे लंबे समय से...
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