सूखे राशन के प्रावधान के माध्यम से प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, सामुदायिक रसोई चलाने और 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना के उचित कार्यान्वयन से संबंधित भारत के सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) हमारे लिए किसी भी तरह से आश्चर्यजनक नहीं है. ज्यां द्रेज और अनमोल सोमांची द्वारा कुछ अध्ययनों की हालिया समीक्षा, जो बहु-राज्य सर्वेक्षणों (या...
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मुनाफे की चाह और अपारदर्शी कीमत बनी वैक्सीनेशन की राह में रोड़ा
-न्यूजलॉन्ड्री, यह हमारी दुनिया के लिए करो या मरो जैसा क्षण है. वायरस और उसके नए प्रकारों और टीकाकरण के बीच एक दौड़ सी जारी है. नोवेल कोरोनावायरस जिस गति से म्यूटेट कर रहा है, उसका अर्थ है कि जब तक इस विश्व का हर एक आदमी सुरक्षित नहीं हो जाता तब तक कोई सुरक्षित नहीं होगा. डब्लूएचओ के अनुसार हमें लगभग 11 बिलियन खुराकों की जरूरत है और इन्हें सबसे...
More »दिल्ली के निजी स्कूलों में कम हो रहे नए दाख़िले, उनका ख़र्च नहीं उठा सकते कोविड प्रभावित परिवार
-द प्रिंट, 36 वर्षीय ममता देवी दक्षिणी दिल्ली के एक घर में काम करती है, जिसे अपने तीन बच्चों को पढ़ाना है, लेकिन सीमित साधनों के साथ. महामारी में उसकी स्थिति और बिगड़ गई है. सिक्योरिटी गार्ड का काम करने वाले उसके पति की, पिछले एक साल में कई बार नौकरी छूटी, जिससे उनकी पारिवारिक आय, पहले के 1.5 लाख से घटकर, सिर्फ एक लाख से कुछ ज़्यादा पर आ गई. आय में...
More »हरियाणा: मुख्यमंत्री ने कोविड फंड से क़रीब 3 करोड़ के पतंजलि उत्पादों की खरीद को मंज़ूरी दी
-द वायर, जीवन और स्वतंत्रता खंड के तहत दायर सूचना का अधिकार अधिनियम के एक आवेदन से पता चला है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 17 मई को तीन पतंजलि दवाओं की खरीद को मंजूरी दी थी, जिसकी कीमत 2,72,50,000 रुपये है, जिसमें विवादास्पद कोरोनिल भी शामिल है. इसके अगले ही दिन एक खरीद आदेश भी जारी किया गया था. हालांकि, सरकार ने यह बताने से इनकार कर दिया...
More »एक मां की आवाज : 'मुझे देवांगना पर गर्व है, भारत को नताशा, गुलफिशा और सफूरा जैसी बेटियों की ज्यादा जरूरत'
-आउटलुक, देवांगना की मां डॉ कल्पना डेका कलिता आउटलुक की आस्था सव्यसाची के साथ बातचीत में कहती हैं कि उनकी बेटी की एक्टिविज़्म उनके लिए क्या मायने रखती है। उसकी कैद उन सभी मां के लिए एक संदेश है जिनके बच्चों को गलत तरीके से सलाखों के पीछे डाल दिया गया है। देवांगना ने राजनीतिक एक्टिविज़्म में कब कदम रखा? अपने स्कूल के दिनों में भी, वह न्याय और अन्याय के बीच के अंतर के बारे में बहुत जागरूक...
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