केंद्र सरकार ने माना है कि इस साल मानसून में देरी हुई है लेकिन उसका कहना है कि चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि देश के पास पर्याप्त मात्रा में खाद्य भंडार है. पत्रकारों से बातचीत करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि देश में दो जुलाई तक 31 प्रतिशत कम बारिश हुई है. लेकिन उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह अच्छी बारिश होने की संभावना है. इससे जुड़ी...
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क्यों बढ़ रहा है जल-संकट? -- बाबा मायाराम
पिछले कुछ सालों में मध्यप्रदेष समेत देष भर में पानी का संकट बढ़ा है। यह समस्या प्रकृति से ज्यादा मानव-निर्मित है। वर्षा की कमी के साथ, वनों की अवैध कटाई, पुराने तालाबों पर अतिक्रमण, गाद भरने से सरोवरों की भंडारण क्षमता में कमी, पानी की फिजूलखर्ची, नदी, जलाषयों का पानी औद्योगिक इकाईयों को देने व षहरों के प्रदूषित पानी को नदियों के प्रदूषण और भूजल को बेतहाषा दोहन से समस्या...
More »पत्थर पर दूध और धान- सहकारिता और नई तकनीक का कमाल
पश्चिमी घाट कहलाने वाली सह्याद्रि पर्वतऋखंला के इलाके में एक गांव है खंबोली। और इस गांव के एक किसान विश्वनाथ की धनखेतियां सुनहली धूप में सोने की तरह चमचमा रही हैं। धनखेतियों के चारो तरफ अमराई है, अमराइयों से ठंढी बयार बहती है, धनखेतियों को आकर दुलार देती है। यों तो भारत के ज्यादातर किसानों की खेती सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर है लेकिन इसके उलट विश्वनाथ ने धान...
More »मुश्किल है गरीबों की पहचान? : हर्ष मंदर
यदि आप किसी गांव में जाएं और ग्रामीणों से पूछें कि यहां रहने वाले लोगों में से कौन गरीब हैं, तो उनके लिए इस सवाल का जवाब देना कठिन नहीं होगा। शायद वे किसी दृष्टिहीन विधवा का नाम बताएं, या किसी बुजुर्ग दंपती की ओर इशारा करें, जो भीख मांगकर पेट भरते हैं, या कर्ज के बोझ तले दबे किन्हीं किसानों का उल्लेख करें। वे गरीबों की अपनी सूची में पिछड़ी जाति के...
More »अलख जगाती एक यात्रा-- मेधा
११ दिसंबर दिन शनिवार का है। बापू की समाधि राजघाट पर जनमेला लगा है। देश भर से लोग अपनी रंगत, अपने लिबास, अपनी भाषा में विविधता संजोए आए हैं। कुछ है जो रंग-बिरंगी विविधता से भरे इन लोगों के मन को एकरस बना रहा है। सब के दिलों में एक ही तमन्ना धड़क रही है। और वह तमन्ना है - शस्य श्यामला ध्रती की उर्वरा-शक्ति, उसकी जीवंतता को बचाने की,...
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