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जलवायु परिवर्तन और बेमौसम बरसात के कारण भारत के कई राज्यों में टिड्डियों के हमलों में बढ़ोतरी

कोविड-19 लॉकडाउन के बीच, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में मई 2020 की दूसरी छमाही में रेगिस्तानी टिड्डियों के झुंड देखे गए हैं. हाल ही में रेगिस्तानी टिड्डियों के झुंडों द्वारा किए गए हमलों ने इन राज्यों में बड़े पैमाने पर फसलों, मवेशियों के चरागाहों और हरी वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाया है. एक आधिकारिक अनुमान के मुताबिक, 25 मई, 2020 तक राजस्थान के...

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उत्तरी सेना के कमांडर लद्दाख पहुंचे, भारत और चीन में तनाव के बीच सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई

-द प्रिंट, उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई.के. जोशी मंगलवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बढ़ते तनाव के बीच स्थिति की समीक्षा करने के लिए लद्दाख पहुंचे. इस तनाव ने सेना को क्षेत्र में दो अतिरिक्त डिवीजन स्ट्रेंथ-लेवल फोर्स भेजने पर मजबूर किया है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है. सूत्रों ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में स्थानांतरित किए गए अधिकांश सैनिक अब अभ्यस्त हो गए हैं और अब...

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खिल उठा पर्यावरण हवा-पानी हुआ शुद्घ

-इंडिया टूडे,   वातावरण ऐसे खिल उठा है, मानो लॉकडाउन उसके लिए वरदान बनकर आया. यकीनन, कोरोना वायरस के प्रकोप की रोकथाम के लिए 24 मार्च से लागू लॉकडाउन गरीब-गुरबों और प्रवासी मजदूरों के लिए आफत बनकर आया है लेकिन इसका एक नतीजा हर तरह के प्रदूषण में भारी कमी के रूप में दिख रहा है. वाकई, यह सुखद एहसास पैदा करता है. मानो प्रकृति अपने मूल स्वरूप में लौट गई है....

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नदीसूत्रः तमिलनाडु के लोकजीवन और लोकाचार में नदियां

- इंडिया टूडे हिंदी, अगर कोई कहे कि दुनिया भर की अधिकतर सभ्यताएं नदियों के किनारे फूली-फलीं और विकसित हुईं तो यह कोई नई बात नहीं होगी. हम सबने यह छठी कक्षा से पढ़ना शुरू कर दिया था. यह और बात है कि अपने आसपास मरती नदियों को देखकर और मुंह फेरकर चल देना हमारी आदतों में शुमार हो चुका है. पर, नदियां न सिर्फ मानव सभ्यताओं के बढ़ने और उनकी जिजीविषा...

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कहां ले जाएगी जल की अनदेखी -- रामचंद्र गुहा

बहुत साल हो गए, जब मेरा सामना पर्यावरण संबंधी जिम्मेदारी की चौंकानी वाली परिभाषा से हुआ था, ‘हम एक सीमित क्षेत्र के भीतर से जो कुछ भी चाहते हैं, उसका उत्पादन करते हैं, तो हम उत्पादन के तरीकों की निगरानी की स्थिति में होते हैं; जबकि अगर हम पृथ्वी के किसी अन्य छोर से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, तो वहां उत्पादन की स्थितियों की गारंटी देना हमारे लिए...

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