विकट कृषि संकट के चलते किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसे में हमें इस समस्या पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। किसानों के लिए किसी भी तरह के सुरक्षा तंत्र की रूपरेखा उनकी जरूरतों और समस्याओं की समझ पर आधारित होनी चाहिए। ऐसे किसी तंत्र के लिए विभिन्न पहलुओं पर गौर करना जरूरी है। इसमें से पहला यह कि छोटी जोत की खेती के लिए बड़े पैमाने पर...
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'तो गाँव की हर औरत लखपति होती..'
जॉर्ज मोनबाएट ने कहा है कि अगर धन कठिन परिश्रम और व्यवहार कुशलता का परिणाम होता तो अफ्रीका की प्रत्येक महिला लखपति होती. भारत की अर्थव्यवस्था में गांवों की अहम भूमिका है और गांवों की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका पुरुषों से ज़्यादा है. यानी ग्रामीण महिलाएं भारत की अर्थव्यवस्था की धुरी हैं, लेकिन उनकी मुश्किलों की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता. न ही समाज का और न ही सरकार का. उनकी...
More »खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह
जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...
More »देश में 20 फीसदी खाद्य वस्तुएं घटिया पाई गईं
देश भर के रेस्तरां और फास्ट फूड विक्रय केंद्रों में 20 फीसदी से अधिक खाद्य वस्तुएं घटिया अथवा मिलावटी पाई गईं। सरकार के आंकड़ों के जरिए यह बात सामने आई है। साल 2013-14 में देश की कई सरकारी प्रयोगशालाओं में 46,283 खाद्य नमूनों की जांच की गई। इनमें दुग्ध उत्पाद और तेल एवं मसालों युक्त व्यंजनों के नमूने शामिल थे। इन खाद्य नमूनों में 9,265 नमूने ऐसे थे जो मिलावटी...
More »राज्य में अभी बनी रहेगी दूध की कमी
रांची : पूरे राज्य में गत 15 दिनों से दूध की कमी बनी हुई है. इस कमी से निबटना मुश्किल है. सुधा की रांची डेयरी से शहर व आसपास के बूथों पर दूध की आपूर्ति में लगातार कटौती की जा रही है. टाटीसिलवे व अन्य इलाके में तीन दिन बाद शनिवार की रात दूध पहुंचा, जो मांग से काफी कम था. गव्य निदेशालय सूत्रों के अनुसार शादी-ब्याह के इस मौसम में...
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