रायपुर.छत्तीसगढ़ में टमाटर की फसल चौपट हो गई है। बंपर पैदावार करने वाले इलाकों में बारिश के कारण टमाटर के पौधे सूख गए। इससे करीब 80 फीसदी फसल नष्ट हो गई है। स्थिति यह है कि पिछले साल दिसंबर में दो रुपए किलो बिकने वाला टमाटर इस बार ४क् रुपए के भाव बिक रहा है। दुर्ग जिले में 70 फीसदी और कोरिया जिले में 30 प्रतिशत फसल नष्ट हो चुकी है। पिछले...
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बिहार में बहार-- देविंदर शर्मा
बिहार में नीतीश कुमार दोबारा सत्ता में वापसी करने में सफल रहे. इससे आम लोगों को अपनी बेहतरी के लिए उम्मीद की किरण दिख रही है. पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री और जाने-माने अर्थशास्त्री महबूब उल हक ने एक बार मुझसे कहा था कि 1960 में वित्त मंत्री रहते समय वह पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर सात प्रतिशत पहुंचाने में समर्थ थे, बावजूद इसके लोगों ने उन्हें हराने के लिए मतदान...
More »गुड़ दस हजार रुपये किलो!
रमनजीत सिंह, तलवंडी साबो । अंग्रेजी की पुरानी कहावत है 'ओल्ड इज गोल्ड' और यह कहावत यहां के गुड़ पर भी लागू होती है। दरअसल यह गुड़ कई गुणों का धनी है। सही मानें तो यह संजीवनी है। जी हां, यहां पंसारी की एक ऐसी दुकान है, जहां गुड़ बेशकीमती चीज की तरह ही बिकता है। आसपास के इलाकों में देसी दवाखाने चलाने वाले वैद्य इस पुराने गुड़ को विभिन्न दवाएं तैयार करने में...
More »कृषि, कर्ज और महंगाई की चुनौतियां
नई दिल्ली [भारत डोगरा]। जहां एक ओर कृषि नीति के सामने महंगाई व किसानों के कर्ज की ज्वलंत समस्याएं हैं, वहीं दूसरी ओर जलवायु बदलाव के संकट से जूझना भी जरूरी है। वैसे तो पहले भी यह बार-बार अहसास हो रहा था कि न्याय, समता व पर्यावरण हितों की रक्षा और खेती में टिकाऊ प्रगति के लिए कृषि-नीति में बदलाव जरूरी हो गए हैं। अब जब जलवायु बदलाव के कुछ दुष्परिणाम नजर आने लगे हैं और...
More »देसी आम प्रजाति लुप्त होने के कगार पर
नूरपुर : सरकार की उपेक्षा के चलते निचले क्षेत्रों में देसी आम की प्रजाति लगभग लुप्त होने के कगार पर है। निचले क्षेत्र के आम की अपनी एक अलग पहचान है। यह आम जहां रस से भरा होता है, वहीं आसानी से हजम भी हो जाता है। बागवानों का अब धीरे-धीरे देसी आम से मोह भंग हो रहा है, क्योंकि एक तो देसी आम के पेड़ जगह अधिक घेरते हैं, वहीं उनमें फल भी काफी...
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