-आउटलुक हिंदी “खाद्य महंगाई दर दहाई अंकों में चली गई है। उपभोक्ता हित के लिए घरेलू किसानों की कीमत पर सस्ते आयात का रास्ता फिर खोला जा सकता है” डायरेक्ट यानी प्रत्यक्ष का रास्ता कई इनडायरेक्ट यानी अप्रत्यक्ष दिक्कतें लेकर आता है। यह बात कृषि क्षेत्र और किसानों के मामले में काफी हद तक लागू होती है। मसलन, सरकार को पता है कि दूध, गन्ना, आलू और प्याज जैसी फसल उगाने वाले...
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झाबुआ के हलमा को गहराई से देखने की कोशिश कीजिए, वर्ल्ड बैंक उथला नज़र आएगा
वह भीषण गर्मी का महीना था, साल 1998, तारीख थी 11 मई, उस दिन पोखरण में ‘बुद्ध मुस्कराए’ थे. इस मुस्कुराहट का स्वाभाविक परिणाम यह हुआ कि दुनिया के तमाम ताकतवर देश मुस्कराना भूल गए. आनन-फानन में कई प्रतिबंध भारत पर लगा दिए गए. अमेरिकी दबाव इस कदर था कि भारत के पुराने दोस्त रूस ने भी हमें क्रायोजनिक इंजन देने से मना कर दिया. उस समय भारत के प्रधानमंत्री...
More »यहां सिर्फ छह हजार में बिकते हैं पहाड़, मुफ्त में बटोर सकते हैं करोड़ों साल पुराने फॉसिल्स
करमपुरातो हटिया में हमारी मुलाकात पहले जुगल पहाड़िया और फिर जिन परो से हुई. जुगल पहाड़िया ने तो साफ इनकार कर दिया कि वे पहाड़ बेचते हैं. उनका कहना था कि पहाड़ बेचने से पहाड़ खराब हो जाता है. इसलिए हम उसे नहीं बेचते, घर चलाने के लिए जंगल से लकड़ी बिन कर लाते हैं. मगर जिन परो ने कहा उनके पास 250 एकड़ का पहाड़ है, वे छह हजार...
More »बढ़ते तापमान में मानसून की राहत- महेश पलावत
भारत में मानसून की भविष्यवाणी काफी अहमियत रखती है। इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह देश की कृषि-पैदावार और अर्थव्यवस्था की दशा-दिशा तय करती है। चूंकि भारत की करीब 58 फीसदी आबादी अब भी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है और सिंचाई का प्रमुख साधन मानसूनी बारिश है, इसलिए इस भविष्यवाणी से यह आकलन किया जाता है कि खरीफ की फसल कितनी...
More »सियासी दलों पर किसानों का कर्ज-- गोपालकृष्ण गांधी
मेरा यह कहना उन्हें पसंद नहीं आएगा। सच यह है कि मैं कहने की कोशिश भी करूंगा, तो वह जबरन इनकार कर देंगे। फिर भी, यदि मुझे कहने का मौका मिलेगा, तो वह मुझे टोकेंगे और कहने से रोक देंगे। लेकिन मुझे तो अपनी बात कहनी ही है। पालागुम्मि साईनाथ ने वह कर दिखाया, जो कोई दूसरा नहीं कर सका। किसी ने ऐसा करने की अभी तक कोशिश भी नहीं की...
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