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नये कृषि कानूनों के बाद भी दूसरे प्रदेश में फसल नहीं बेच पा रहे किसान, मंडियों में नहीं मिल रही MSP, औने-पौने रेट पर बेचने को मजबूर

-गांव कनेक्शन, "कोई भी व्यक्ति अपना उत्पाद, दुनिया में कहीं भी बेच सकता है। जहां चाहे वहां बेच सकता है, लेकिन केवल मेरे किसान भाई-बहनों को इस अधिकार से वंचित रखा गया था। अब नये प्रावधान लागू होने के कारण, किसान अपनी फसल को देश के किसी भी बाजार में किसी भी कीमत पर बेच सकेगा।" देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 सितंबर को अपने एक ट्वीट ये तब कहा...

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“हालिया कृषि कानून देश के किसानों के साथ गद्दारी हैं,” किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी

-कारवां, हरियाणा और पंजाब के किसान संसद में पारित हुए तीन कृषि कानूनों (कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून, 2020) के खिलाफ आंदोलित हैं. हरियाणा में इन दिनों चल रहे किसान आंदोलन की अगुवाई भारतीय किसान यूनियन (चढूनी)के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी कर रहे हैं जो पिछले 30 सालों से हरियाणा में किसान आंदोलन...

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क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम और इसके संशोधन, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं

-द वायर, बीते मंगलवार को राज्यसभा ने कृषि सुधार के नाम पर लाए गए आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) अधिनियम विधेयक, 2020 को मंजूरी दे दी, जिसके जरिये अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्‍याज और आलू जैसी वस्‍तुओं को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटा दिया गया है. दूसरे शब्दों में कहें, तो अब निजी खरीददारों द्वारा इन वस्तुओं के भंडारण या जमा करने पर सरकार का नियंत्रण नहीं होगा. हालांकि संशोधन के तहत यह...

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"कृषि विधेयकों से किसानी पर हो जाएगा कॉरपोरेटों का कब्जा," पंजाब के आंदोलनरत किसान

-कारवां, 14 सितंबर को जब पंजाब और हरियाणा में किसान संगठन विरोध कर रहे थे केंद्र सरकार ने संसद में कृषि से संबंधित तीन विधेयक पेश किए. इन विधेयकों ने जून में घोषित किए गए तीन अध्यादेशों, किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश (2020), किसानों के (सशक्तिकरण और संरक्षण) के लिए मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा समझौता अध्यादेश (2020) और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश (2020) को प्रतिस्थापित कर...

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बड़ी पड़ताल: उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन, कितना टिकाऊ?

-डाउन टू अर्थ, उत्तराखंड के प्रमुख पर्वतीय शहर पौड़ी से लगभग 15 किलोमीटर दूर गांव कठूड़ की स्यारियों (गदेरे यानी बरसाती नदी से लगते खेत) में विकास रावत और आलोक चारू अपने साथियों के साथ खेत में लगी सब्जियां तोड़ रहे हैं। कुछ ही देर में आसपास के गांव के लोग ये सब्जियां खरीदने आने वाले हैं। ये लोग पेशे से सब्जी किसान नहीं हैं। विकास कोरोना संक्रमण को रोकने के...

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