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स्मृति शेष : प्रकृति के पहरेदार का जाना

जाने-माने गांधीवादी और पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र अब हमारे बीच नहीं रहे. पर्यावरण के लिए वे तब से काम कर रहे हैं, जब देश में पर्यावरण का काेई विभाग नहीं खुला था. बगैर बजट के उन्होंने देश-दुनिया के पर्यावरण की जिस बारीकी से खोज-खबर ली, वह करोड़ों रुपये बजट वाले विभागों और परियोजनाओं के लिए संभव नहीं हो पाया है. वर्ष 1948 में वर्धा में जन्मे अनुपम प्रख्यात साहित्यकार भवानी...

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कैसे रुकेंगे ऐसे हादसे--- अमरनाथ सिंह

वाराणसी में बाबा जय गुरुदेव के अनुयायियों के एक कार्यक्रम में अचानक हुई भगदड़ ने एक बार फिर यह साबित किया है कि आज भी अपने देश में कारगर भीड़ प्रबंधन की कमी है। बात केवल वाराणसी की इस घटना की नहीं है। हर साल भीड़ के बेकाबू होने से हादसे होते हैं। हालांकि भगदड़ की घटनाएं केवल भारत में नहीं, विदेशों में भी होती हैं। लेकिन जहां विदेशों में...

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काहे रे नदिया तू बौरानी!-- अनिल रघुराज

पानी गले तक आ जाये, तो औरों का भरोसा छोड़ कर खुद ही सोचना और खोजना पड़ता है कि बचने का क्या रास्ता है. दो साल के सूखे के बाद सामान्य माॅनसून ने पूरब से लेकर उत्तर भारत के तमाम इलाकों में यही हालत कर दी है. शहरों, कस्बों व गांवों में लोग घरों से निकल कर सड़कों पर आ गये हैं. नदियां बावली हो गयी हैं. कई जगह तो...

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7000 की आबादी का गांव तीन दिन से नर्मदा के पानी से कैद

अम्बुज माहेश्वरी, रायसेन। रायसेन जिले में सबसे अधिक आबादी वाला गांव भारकच्छ कलां बीते तीन दिनों से नर्मदा नदी में बढे जल स्तर के कारण पानी में कैद है। जिले के इस सबसे बड़े गांव से बाहर निकलने के सभी रास्ते बंद है और लोग नर्मदा नदी में अब भी बढ़ रहे जल स्तर से चिंतित है। गांव से लगी नर्मदा उफान पर आती जा रही है और इससे बकतरा, बरेली,...

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पर्यावरण दिवस विशेष : चट्टानों पर हरियाली, जूट बिछाकर रोपे दो हजार पौधे

सुमित अवस्थी/खंडवा। ओंकार पर्वत पर वन विभाग ने करीब दो हेक्टेयर क्षेत्र में चट्टानों पर जूट बिछाकर कई प्रजातियों के दो हजार पौधे लगाए हैं। 1900 से अधिक पौधे लहलहा रहे हैं। इससे पर्वत से मिट्टी का कटाव भी रुक गया है। बंजर चट्टनों पर हरियाली का प्रयोग सफल होने के बाद अब ओंकार पर्वत के परिक्रमा पथ पर पौधरोपण की तैयारी की जा रही है। पर्यावरण दिवस पर नईदुनिया की...

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