बीते सोमवार को राजस्थान विधानसभा में राज्य सरकार ने एक बिल पेश किया था, जिसमें प्रावधान था कि नेताओं, लोकसेवकों तथा जजों के खिलाफ मामला दर्ज करने से पहले सरकार से इजाजत लेनी होगी. गौरतलब है कि इस बिल को विधानसभा में पेश करने से पहले राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने सितंबर महीने की 7 तारीख को एक अध्यादेश भी जारी किया था. हालांकि, इस अध्यादेश को राजस्थान हाइकोर्ट...
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संस्थाओं को सुदृढ़ करने का वक्त - डॉ. भरत झुनझुनवाला
अर्थशास्त्रियों में इस बात को लेकर सहमति बन रही है कि आर्थिक विकास की असल कंुजी देश की संस्थाओं में निहित है। सस्ते श्रम से आर्थिक विकास हासिल होना जरूरी नहीं है। जापान में श्रम महंगा है, फिर भी आर्थिक विकास में वह देश आगे है। आवश्यक नहीं कि प्राकृतिक संसाधनों जैसे कोयले अथवा तेल के जरिए भी विकास हासिल हो ही जाए। सिंगापुर में प्राकृतिक संसाधन शून्यप्राय हैं, फिर...
More »तीन तलाक पर अच्छा फैसला-- भूपेन्द्र यादव
तीन तलाक पर आये फैसले को किसी संस्था या धार्मिक परंपरा विशेष के खिलाफ न मानकर एक प्रगतिशील कदम के रूप में देखना चाहिए, जो समाज के साधारण एवं वंचित वर्ग के प्रति निष्पक्ष न्याय व्यवस्था का फैसला है. इस विषय पर मीडिया के सारे साधनों में बहस और चर्चा हुई है, जिसमें धार्मिक संवैधानिक विशेषज्ञों के साथ साधारण जन और पीड़ित पक्षों ने भी बहस की है. यह...
More »अनुच्छेद 35 ए का दंश -- भीम सिंह
अनुच्छेद-35 ए जम्मू-कश्मीर में भारतीय नागरिकों पर एक दोमुंही तलवार है जिसे आज तक देश के बुद्धिजीवियों और राजनीतिकों के संज्ञान में नहीं लाया गया। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के खिलाफ एक साजिश थी, जिसकी शुरुआत हुई 14 मई 1954 को, जब भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक अध्यादेश जारी करके अनुच्छेद-35 के साथ ‘ए' जोड़ दिया। भारतीय संविधान के अध्याय-3 में भारतीय नागरिकों को जो मानवाधिकार दिए...
More »बाढ़ और राजनीति का मौसम --- प्रेम कुमार
बाढ़ ने भले ही देश में डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया हो या रेडक्रॉस ने भारत, नेपाल और बांग्लादेश में आयी बाढ़ को दक्षिण एशिया में गंभीर मानव संकट करार दिया हो, लेकिन भारत की राजनीति इस बाढ़ से सूखी है. ऐसा लगता है कि देश की राजनीति को कोई फर्क नहीं पड़ता कि अकेले बिहार में 1 करोड़ से ज्यादा लोग, तकरीबन पूरा...
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