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आरटीआई कानून- हंगामा है क्यों बरपा ?

जो कभी इसके पैरोकार थे वही सूचना का अधिकार अधिनियम के कानूनी शक्ल लेने के पाँच साल बाद इतने चिन्तित क्यों है ? किस लिए एक बार फिर से इस मुद्दे पर धरना, रैली, सम्मेलन और भूख-हड़ताल की बाढ़ सी आई हुई है ? इसकी एक वजह तो यही है कि सूचना का अधिकार कानून से जिस मौन क्रांति का चक्का चल पडा है, उसकी गति को निहित स्वार्थवश किए...

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शिकायत पर कालका के गांवों में जमीन घोटालों की जांच शुरू

पंचकूला. कालका व पिंजौर में शामलात जमीनों में करोड़ों की हेराफेरी की शिकायतें मिलने के बाद डीसी आशिमा बराड़ ने कालका की एसडीएम वंदना दिसोदिया को मामले की जांच सौंपी है। कालका के गांव धमाला, मानकपुर नानकचंद, मानकपुर ठाकुरदास, सूरजपुर, रजीपुर सहित कुछ अन्य गांवों में सैकड़ों एकड़ शामलात जमीन के अधिग्रहण, जमीनों की फर्जी नामों से रजिस्ट्रियां करने, जमीन के हिस्सेदारों को मुआवजा देने की प्रक्रिया, जमीनों पर अवैध कब्जों की जांच एसडीएम...

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छोटा से राज्य में बड़े-बड़े घोटाले: कौल

सुंदरनगर/मंडी . छोटे से पहाड़ी राज्य में प्रेमकुमार धूमल की सरकार बड़े-बड़े घोटाले कर प्रदेश में नया इतिहास रच रही है। वह घोटाला चाहे हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड का हो अथवा भू-माफिया को प्रदेश की भूमि बेचने का। यह बात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर ने नौलखा में अपने जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर शिकारी माता मंदिर में कन्या पूजन के बाद पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि शिक्षा बोर्ड में...

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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें

जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...

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पैसों से मिलते हैं जमानती

अम्बाला. दैनिक भास्कर का संवाददाता कोर्ट में किसी केस की रिपोर्टिग करने गया तो वहां किसी वकील के पास बैठकर चाय पीने लगे। साथ में ही पड़ी एक वकील की बैंच पर दो लोगों के बीच जमानत लेने का सौदा हो रहा है। एक कह रहा था कि हम दो हजार लेंगे तो दूसरा कह रहा था कि हम 1500 देंगे। बस संवाददाता में उनकी बातों को गंभीरता से सुना । मामला कुछ समझ में...

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