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एचटीबीटी कॉटन और जीएम सरसों को मंजूरी की तैयारी, 20 साल बाद मिलेगी किसी जीएम फसल को स्वीकृति

रूरल वॉयस, 17 अक्टूबर देश में बीस साल बाद जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) फसलों के व्यावसायिक उत्पादन की मंजूरी मिल सकती है। यह फसलें हैं- हर्बिसाइड टॉलरेंट बीटी कॉटन जिसे एचटीबीटी कॉटन कहा जाता है, और जीएम सरसों की किस्म। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इन दोनों फसलों के व्यावसायिक उत्पादन की मंजूरी का रास्ता लगभग साफ हो गया है। अब जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) की मंजूरी की औपचारिकता ही बाकी...

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नीम के पत्ते से तैयार करें जैविक खाद, मिलेगा बेहतर उत्पादन, पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद

दैनिक जागरण, 11 अक्टूबर रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग किए बिना खेती बारी करना असंभव सा होता जा रहा है। कीटनाशकों के प्रयोग से तैयार होने वाली फसल का सेवन करने से मानव जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इसके साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। इससे उबरने के लिए काशीपुर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जैविक खेती करने की दिशा में कदम उठाया गया है। जैविक खेती करने से...

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कीड़े लगने से सूखने लगी हाइब्रिड धान की बालियां:दाने नहीं लगे, लगातार दो दिन से बारिश हुई किसानों की फिक्र बढ़ी

दैनिक भास्कर, 8 अक्टूबर वनांचल क्षेत्र में लगातार दो दिनों से हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। हाइब्रिड धान में कीट का प्रकोप बड़ी मात्रा में दिखाई दे रहा है। वहीं हल्के किस्म के धान में इन कीटों का प्रकोप कम है। ज्यादातर किसान अधिक फसल उत्पादन करने के लिए हाइब्रिड धान लगाए गए हैं। धान के पौधों की जड़ों में कीटों का प्रकोप बढ़ने से बालियां...

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चावल के उत्पादन में 6 फीसदी गिरावट का अनुमान, सात साल बाद थमा बंपर उत्पादन का सिलसिला

डाउन टू अर्थ, 22 सितम्बर सात साल बाद खरीफ सीजन में खाद्यान्न के उत्पादन में गिरावट का अनुमान लगाया गया है। अनुमान है कि कुल खाद्यान्न में 4 प्रतिशत और चावल के उत्पादन में चावल के उत्पादन में 6 फीसदी की गिरावट का अनुमान है। 21 सितंबर 2022 को केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2022-23 के दौरान खाद्यान्न उत्पादन का पहला अनुमान जारी किया, जो केवल खरीफ सीजन के...

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मीडिया की सुर्ख़ियों से गायब है अनाजों में बढ़ती 'महंगाई दर' की बात!

कुछ राज्यों में मानसून देरी से आया है इस कारण बोये गए चावल का इलाका पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ है. आंकड़ो में कहें तो 29 जुलाई,2022 तक 231.59 लाख हेक्टेयर रकबे में ही चावल बोये गए हैं जोकि पिछले वर्ष के इसी समय काल की तुलना में कम (267.05 लाख हेक्टेयर) है. बोये गए चावल के इलाके में आयी कमी सहित अन्य कारणों से अनाजों के दामों में महंगाई बढ़ने का डर...

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