दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में से एक और बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की सह-संस्थापक मेलिंडा गेट्स मानती हैं कि आज का भारत पहले की तुलना में बेहतर है और वह गरीबी उन्मूलन के अपने लक्ष्य के काफी करीब पहुंच चुका है। वह यह भी मानती हंत कि हर भारतीय को आज स्वास्थ्य सेवा मिलती है। पिछले दिनों जब वह दिल्ली आई हुई थीं, तब उनसे विद्या कृष्णन ने विस्तृत बातचीत...
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गरीबी उन्मूलन के काफी करीब है भारत
दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में से एक और बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की सह-संस्थापक मेलिंडा गेट्स मानती हैं कि आज का भारत पहले की तुलना में बेहतर है और वह गरीबी उन्मूलन के अपने लक्ष्य के काफी करीब पहुंच चुका है। वह यह भी मानती हंत कि हर भारतीय को आज स्वास्थ्य सेवा मिलती है। पिछले दिनों जब वह दिल्ली आई हुई थीं, तब उनसे विद्या कृष्णन ने...
More »उतने बीमार भी नहीं हैं बीमारू राज्य- सुभाष गाताडे
कई बार कुछ सर्वेक्षण ऐसे नतीजे को सामने लाते हैं, जो हमारे सहज बोध से विपरीत जान पड़ते हैं। भारत के मानव विकास सूचकांक के ताजे आंकड़े इसी की मिसाल हैं। योजना आयोग के अंतर्गत कार्यरत इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड मैनपावर रिसर्च (आईएएमआर) के हालिया आंकड़े के मुताबिक, ऐसे गरीब कहलाने वाले राज्यों में मानव विकास सूचकांक अब तेजी से राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच रहा है, जहां हाशिये पर पड़े...
More »महान लोकतंत्र की सौतेली संतानें- अतुल चौरसिया
नर्मदा और टिहरी की जो वर्तमान त्रासदी है उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला उससे आधी सदी पूर्व ही गुजर चुका है. लेकिन इसका दुर्भाग्य कि नर्मदा, टिहरी के मुकाबले विनाश के कई गुना ज्यादा करीब होने के बावजूद यह आज कहीं मुद्दा ही नहीं है. शायद इसलिए कि सोनभद्र के पास कोई मेधा पाटकर या सुंदरलाल बहुगुणा नहीं हैं. अतुल चौरसिया की रिपोर्ट. फोटो: शैलेंद्र पांडेय. सोनभद्र को देखकर पहली नजर...
More »अर्थशास्त्र की ऊंची मीनार से कुपोषण मिटाने की यह कवायद....
भारतीयों को विवाद-प्रिय माना जाता है और हमारी यह विवादप्रियता एक बार फिर से उठान पर है ! गरीबी-रेखा और गरीबों की तादाद के बारे में लंबे समय तक वाक्युद्ध में उलझे रहने के बाद, प्रसिद्ध अनिवासी भारतीय(एनआरआई) अर्थशास्त्रियों ने एक बार फिर से विवाद छेड़ा है कि भारत में कुपोषण का विस्तार कितना है। पहले योजना आयोग ने गरीबों की संख्या को कागजी तौर पर घटाने की कोशिश की...
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