जब तक देश का नेतृत्व महिलाओं के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठायेगा, तब तक माहौल नहीं बदलेगा. मसलन, संसद में महिला आरक्षण बिल पास हो जाये. सरकार और संसद में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, तो उन्हें लेकर समाज का नजरिया भी बदलेगा. साल 2015 की शुरुआत में ही महिला सुरक्षा के लिए लॉन्च किये जा रहे एप्प अपने आप में एक शुभ लक्षण है. कई राज्य सरकारों ने इस तरह...
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विकसित राज्यों में घट रही हैं बेटियां-- नई रिपोर्ट
एक नई रिपोर्ट के मुताबिक देश में बाल लिंग-अनुपात बीते एक दशक में घटा है। साल 2001 में देश में बाल लिंग -अनुपात 927 था जो 2011 में घटकर 918 हो गया। मिसिंग गर्ल्स: मैपिंग द एडवर्स चाइल्ड सेक्स रेशियो इन इंडिया नामक इस रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल 640 जिलों में से 429 जिलों में बाल लिंग अनुपात में कमी आई है। (देखें नीचे दी गई लिंक). रिपोर्ट के...
More »जो कुछ न किया उसे प्रतिष्ठा मिली, जिसने काम किया, उसे देश निकाला : नीतीश
पटना : पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के विकास को लेकर अपने दिल की बात सामने रखी. शुक्रवार को आद्री परिसर में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि कहा कि जो कुछ न करे, उसे प्रतिष्ठा मिली और जिसने काम किया, उसे देश निकाला हुआ. लेकिन, काम होना चाहिए. मैंने कोशिश की, काम हुआ. बालिका शिक्षा, पंचायतों में महिला आरक्षण, शौचालयों का निर्माण व सशक्तीकरण की अनेक योजनाओं को...
More »नौकरी छोड़ सरपंच बनी आरती की उड़ान
32 वर्षीया आरती ने सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमीनिस्ट्रेशन (एमबीए) करने के बाद दो सालों तक बैंकिंग सेक्टर में काम किया. प्रबंधन की पढ़ाई करने के बाद बेरहामपुर में आइडीबीआइ कंपनी में मैनेजर बनीं, लेकिन बैंकिंग सेक्टर उन्हें रास नहीं आयी. आरती वर्ष 2012 में नौकरी छोड़ राजनीति में आ गयीं. राजनीति में आने का कारण उनका अपने पैतृक गांव के प्रति अत्यधिक लगाव था और यहां...
More »नयी सरकार के सामने गांव के पुराने मुद्दे- पंचायतनामा डेस्क
16 मई को देश में लोकसभा चुनाव का परिणाम आ गया है. देश को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार मिलने जा रही है. भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने चुनाव अभियान के दौरान अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर राजनीतिक हमले के साथ विकास के मुद्दे को फोकस किया. उन्होंने कृषि, ग्रामीण रोजगार, शौचालय जैसे अहम मुद्दों की चर्चा प्रचार अभियान के दौरान की. हम अपनी आमुख कथा में गांव-पंचायत...
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