मुंबई. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि अगर चुनाव बाद स्थिर सरकार बनी तो अगले 5 वर्षों के दौरान देश की आर्थिक विकास दर औसतन 6.5 प्रतिशत रह सकती है। क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'चुनावी नतीजों से तो केवल कारोबारी धारणा सुधरती है। इकोनॉमी पर असली असर अगली सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियों का पड़ेगा। अगर सब कुछ ठीक रहा तो फिर इससे आर्थिक...
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कुप्रबंध की संस्कृति- हरिवंश
देश, वाचाल वृत्ति, बौद्धिक विलासिता, पर-उपदेश वगैरह की ‘लचर जीवन संस्कृति’ से नहीं चलता. आज के भारत में सरकार, राजनीति से लेकर समाज स्तर पर यही जीवन संस्कृति है. अमर्त्य सेन जिस ‘आर्ग्यूमेंटेटिव इंडिया’ (बहस में डूबे भारत) की बात करते हैं, उसे जमीन पर देखें-समझें तो बात ज्यादा स्पष्ट और साफ होती है. मूलत: हम बातूनी लोग हैं, बिना कर्म बात-बहस करनेवाले. किसी के बारे में कुछ भी टिप्पणी....
More »कर्ज डकारने वालों पर कानून बेअसर
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। फंसे कर्ज को लेकर बैंकों की मुसीबत बढ़ती जा रही है। आर्थिक मंदी की वजह से आने वाले दिनों में फंसे कर्ज यानी नॉन परफॉर्मिग असेट्स [एनपीए] के बढ़ने की आशंका बढ़ी है। वहीं, फंसे कर्जे को वसूलने की मौजूदा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त होती दिख रही है। ऋण वसूली प्राधिकरण, लोक अदालतों व अन्य तरीके से बैंक पिछले वित्त वर्ष 2012-13 में कुल फंसे कर्जे...
More »कमजोर रुपया बढ़ा रहा विदेशी कर्ज का बोझ
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में तेज गिरावट से देश की क्रेडिट प्रोफाइल बिगड़ने की आशंका पैदा हो गई है। साथ ही देश पर विदेशी कर्ज का बोझ भी बढ़ रहा है। तेल कंपनियों की मांग और सोमवार को भी रुपया लुढ़कते हुए 59.83 तक जा पहुंचा। मगर बाद में बैंकों की ओर से डॉलर की बिक्री ने हालात सुधारे और एक डॉलर की कीमत...
More »ऐसे तो 25 साल लगेंगे आमदनी दोगुनी होने में
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। देश की आर्थिक विकास दर ही पिछले एक दशक के तलहटी पर नहीं पहुंची है, बल्कि इसके साथ आम जनता की कमाई पर भी गहरी चपत लगी है। सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की विकास दर के हिसाब से देखें तो वर्ष 2012-13 के दौरान प्रति व्यक्ति आय में महज तीन फीसद की वृद्धि हुई है। जबकि इसके पिछले वर्ष यह वृद्धि दर 4.7 फीसद थी। इस...
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