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एक साल में कितना बदला देश- मनीषा प्रियम

एक साल पहले दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की एक ऐसी घटना हुई थी, जिसने देश-दुनिया को झकझोर दिया था। तब से अब तक यह देश कई राजनीतिक-सामाजिक बदलावों का गवाह रहा है। ‘बिटिया’ के बलिदान ने ऐसा मंच तैयार किया, जहां देश की राजनीति और उसके निजी एवं बाह्य अंतर्विरोधों पर खुलकर बहस हुई है। वह एक अमानवीय और हृदय विदारक घटना थी। लेकिन उस घटना ने देश में परिवर्तन...

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स्त्री उत्पीड़न की जड़ें- विकास नारायण राय

जनसत्ता 23 अक्तूबर, 2013 : उत्पीड़न के साए में दिल्ली विश्वविद्यालय के आंबेडकर कॉलेज की कर्मचारी की आत्महत्या, महिला सशक्तीकरण को मात्र यौनिक सुरक्षा के चश्मे से देखने के प्रति गंभीर चेतावनी है। सभी मानेंगे कि देश की राजधानी के एक बड़े शिक्षा संस्थान के इस प्रचारित प्रकरण के चार वर्ष तक खिंचने की जरूरत नहीं थी, और इसका अंत न्याय में होना चाहिए था, न कि आत्महत्या में। काश,...

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दमनकारी पितृसत्ता की परतें- विकास नारायण राय

जनसत्ता 27 सितंबर, 2013 : ग्वालियर की एक कार्यशाला में एक कार्यकर्ता ने चंबल क्षेत्र में राज्य सरकार के ‘बेटी बचाओ’ अभियान से चिढ़े अभिभावक की प्रतिक्रिया बताई, ‘‘का हम अपनी मोढिन को मार न सकत।’’ मोढी यानी बेटी। क्या हम अपनी पत्नी को भी नहीं पीट सकते; यह हर भारतीय मर्द की अंदर की आवाज होती है। हर बाप अपनी बेटी को संपत्ति से वंचित करता ही है। हरियाणा में...

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कैसे थमेगी स्त्रीविरोधी हिंसा- विकास नारायण राय

जनसत्ता 2 सितंबर, 2013 : लैंगिक असमानता के जंगल में भेड़ियों का यौनिक हिंसा का खेल थमना नहीं जानता। तो भी एक अभिभावक की हैसियत से कोई नहीं चाहेगा कि उसकी बेटी का ऐसे दरिंदों से वास्ता पड़े। स्त्री के विरुद्ध होने वाली घृणित यौनिक हिंसा की ये पराकाष्ठाएं किसी भी अभिभावक को वितृष्णा और असहायता से भर देंगी। मगर आसाराम पर लगे आरोप या मुंबई में फोटो-पत्रकार के साथ...

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भारत में रोजगारहीन आर्थिक वृद्धि - आईएलओ की नई रिपोर्ट

जिस भारतीय अर्थव्यवस्था के बूते दक्षिण एशिया में साल 2010 तक आर्थिक-वृद्धि की रफ्तार 9 फीसदी से ज्यादा की रही और अब यानी साल 2011-12 में 7 फीसदी पर जा पहुंची है, उसके बारे में सबसे ज्यादा गौर करने लायक तथ्य क्या है ? अंतर्राष्ट्रीय श्रम-संगठन की नई रिपोर्ट ग्लोबल एम्पलॉयमेंट ट्रेन्डस् का कहना है कि बढ़ोत्तरी का यह कमाल श्रम की उत्पादकता में बढ़वार का नतीजा था ना कि...

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