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किसान क्या चाहते हैं और केंद्र सरकार क्या नहीं मानेगी

-इंडिया टूडे, करीब 20 किसान संगठनों के 26 नवंबर को पंजाब से दिल्ली तक हुए विरोध-प्रदर्शन और मार्च ने शायद केंद्रीय एजेंसियों तथा पंजाब भाजपा के नेतृत्व को हैरानी में डाल दिया. किसान संगठनों के सदस्य नए केंद्रीय कृषि कानूनों को अनुचित बताते हुए राष्ट्रीय राजधानी में डटे हुए हैं ताकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके. इस किसान आंदोलन में अनुमान है कि करीब 2,00,000...

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अर्नब गोस्वामी की तरह पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन मामले में तेज़ी क्यों नहीं?

-बीबीसी, पत्रकार, सरकार की बदले की कार्रवाई, सुप्रीम कोर्ट और आज़ादी का मौलिक अधिकार. पिछले कुछ दिनों से ये शब्द मीडिया में छाए हुए हैं. हाल ही में आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में रिपब्लिक न्यूज़ चैनल के मालिक और पत्रकार अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिली है. आम लोगों में इस सवाल पर चर्चा हो रही है कि क्या देश की सर्वोच्च अदालत का रवैया और रूख़...

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मैं बिहार चुनाव को लेकर उत्साहित क्यों नहीं हूं: योगेंद्र यादव

-द प्रिंट, इन पंक्तियों को जब आप पढ़ रहे होंगे तो बिहार विधानसभा के चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान समाप्त हो चला होगा. अब अचरज कहिए कि इस बार बिहार के चुनाव को लेकर अपने मन में मैं पहले जैसी तरंग महसूस नहीं कर पा रहा और, मुझ जैसे चुनाव-आसक्त आदमी के लिए जिसने जिंदगी के तीन दशक चुनावों को पूरे दिल-ओ-जान से पेशेवर और सियासी तौर पर परखने-समझने...

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भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन: 100 साल के सफ़र के पाँच पड़ावों ने बदला इतिहास

-बीबीसी,  भारत में ही नहीं यूरोप या किसी अन्य महाद्वीप में आज कम्युनिस्ट आंदोलन बहुत मजबूत नहीं रह गया है. लेकिन इस दौरान इस विचारधारा की राजनीति भारत में अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं. अब तक के इस सफ़र के पांच सबसे अहम पड़ाव और भारतीय राजनीति में उनके मायनों पर एक नज़र: 1. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ताशकंद में स्थापना-कांग्रेस के साथ रिश्ते भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की शुरुआत 17 अक्टूबर, 1920...

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अस्तित्व की लड़ाई

- आउटलुक, “नए कानूनों से किसानों को खेती पर भी कॉरपोरेट के हावी होने का अंदेशा” अच्छे दिनां ने पंजाब दी किसानी डोब ती... (अच्छे दिनों ने पंजाब की किसानी डुबा दी) पंजाबी गायक मनमोहन वारिस का यह गाना इन दिनों प्रदेश के किसान आंदोलन में खूब बज रहा है। ये किसान खेतों में तैयार खड़ी फसलों की चिंता छोड़ रेल पटरियों पर तंबू लगाकर पड़े हैं। उन्हें फसलों के नष्ट होने...

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