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गुजरात में ‘अतिरिक्त’ राशन कार्ड रद्द करने से सबसे अधिक आदिवासी प्रभावित होंगे: रिपोर्ट

द वायर , 5 अप्रैल गुजरात सरकार ने राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के ‘अतिरिक्त’ राशन कार्डों को रद्द करने का आदेश पारित किया है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के बिना उठाया गया था. ‘अतिरिक्त’ राशन कार्डों को रद्द करने का आदेश 80,000 से अधिक आदिवासी परिवारों के पांच लाख से अधिक लोगों को उनके भोजन के मूल अधिकार से वंचित...

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बिहार के 10 लाख लोगों को तबाही से बचाने के लिए जरूरी है, कोशी का समग्र विकास

जनचौक, 26 फरवरी\ कोशी नदी के दोनों तटबंधों के बीच निवास करने वाले करीब दस लाख लोगों की बदहाली के किस्से परत-दर-परत उजागर हुए। अवसर कोशी जन आयोग की रिपोर्ट को जारी करने के लिए हुए दो दिवसीय सम्मेलन का था। सम्मेलन में नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर के अलावा कई पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्ता व कोशी क्षेत्र के पीडित लोग शामिल हुए। सम्मेलन में कोशी क्षेत्र की समस्याओं को चिन्हित किया...

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महामारी में मजहब के आधार पर हुआ भेदभाव- वैश्विक रिपोर्ट

बात कोविड काल की है। अफगानिस्तान में बहुसंख्यक तबके ने करीब 25 सिखों को मौत के घाट उतार दिया। और इस कारण से सिखों में डर पसरा। जिसका नतीजा था लगभग 200 सिक्खों का हिंदुस्तान की ओर पलायन। यह पलायन उनकी ख्वाहिश से नहीं मजबूरी से उपजा था। प्रश्न यह है कि सिखों के साथ यह अत्याचार क्यों हो रहा था? अफगानिस्तान के बहुसंख्यक तबके का कहना था कि सिख कोविड...

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मनरेगा: भारतीय महिलाओं के लिए अंतिम और एकमात्र आय का सहारा

इंडियास्पेंड, 22 नवम्बर चंचल कुमारी का जन्म साल 2002 में हुआ। उस साल राजस्थान सूखाग्रस्त भी था। दो साल से राज्य में पीने या फसल बोने के लिए पानी की भारी कमी थी, मवेशी मर रहे थे। चंचल का परिवार भी भुखमरी के कगार पर था। उनके पिता राजू सिंह एक मजदूर थे। उन्हें काम की तलाश में अपना गांव छोड़ना पड़ा। जैसे-जैसे आजीविका चौपट हुई, रोजगार सृजन कार्यक्रम के लिए...

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जेंडर

खास बात   साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38%  फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...

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