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स्वास्थ्य मंत्रालय जनहित में कोरोना संबंधी जानकारी स्वत: सार्वजनिक करे: सीआईसी

-द वायर, केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने अपने एक आदेश में कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय जनहित को ध्यान में रखते हुए कोरोना संबंधी सभी जरूरी जानकारियां खुद ही सार्वजनिक करे. सीआईसी ने कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और लोगों को मूलभूत जानकारियों के लिए सूचना का अधिकार (आवेदन) दायर नहीं करना होगा. मुख्य सूचना आयुक्त वाईके सिन्हा ने मंत्रालय द्वारा कोविड-19 वैक्सीन से संबंधित जानकारियां छिपाने को लेकर दायर शिकायतों पर सुनवाई...

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दूसरी लहर ग्रामीण जीवन पर कहर बरपा रही है, क्या यह ग्रामीण आजीविका को भी प्रभावित करेगी?

इस साल मार्च के बाद से हर रोज कोविड-19 के नए मामलों और मौतों में वृद्धि होने के बाद मीडिया ने रिपोर्ट (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) किया कि प्रवासी कामगार अपने प्रवास स्थलों से मूल स्थानों (यानी मूल स्थानों) पर वापस लौट रहे हैं. शहरों और बड़े औद्योगिक कस्बों में जहां समाज के हाशिए के वर्गों से अनौपचारिक और कम कुशल श्रमिक मौसमी रूप से प्रवास करते हैं,...

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‘विफल स्टेट’ और ‘स्टेट की विफलता’ दो अलग बातें हैं, शातिर मीडिया का खेल समझिए!

-जनपथ, ‘विफल स्टेट’ और ‘स्टेट की विफलता’- दोनों दो बातें हैं। उसी तरह, जैसे विफल सिस्टम और सिस्टम की विफलता अलग-अलग बातें हैं। जब आप स्टेट को ही विफल घोषित करते हैं तो बड़ी चतुराई से स्टेट के शीर्ष पर बैठे लोगों को उनकी विफलताओं के लिए बचा रहे होते हैं। एक नामचीन पत्रिका ने अपने आवरण पर बड़े हर्फ़ों में अपनी आवरण कथा का शीर्षक दिया, ‘विफल स्टेट’। बैकग्राउंड में जलने...

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प्रवासी मजदूर एक बार फिर मुसीबत में फंसे

-प्रेस विज्ञप्ति 5 मई 2021, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में मृतकों की संख्या और संक्रमण की दर खतरनाक रूप से उच्च होने के कारण देश के कई हिस्सों में तालेबंदी और अन्य प्रतिबंध लगाए गए हैं। भले ही एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा नहीं की गई है, फिर भी सैर-आवश्यक आर्थिक गतिविधियों में और अधिक कटौती की मांग के साथ काम गंभीर रूप से बाधित हो गया है। परिणामी संकट...

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कुंभ 2021: क्या नेताओं के लिए ग्रहों की चाल आम ज़िंदगियों से ज़्यादा महत्वपूर्ण है

-द वायर, कुंभ मेला हर बारह साल पर होता है. हरिद्वार का पिछला कुंभ 2010 में हुआ था. हरिद्वार के वर्तमान कुंभ मेले की वास्तविक तारीख 2022 थी, 2021 नहीं. फिर इसकी तारीख को पूरे एक साल घटाकर इसका आयोजन उस जानलेवा साल में क्यों हुआ, जब भारत में कोविड की दूसरी लहर की आशंका जताई जा रही थी, और जब महामारियों के अध्ययन हमें बताते हैं कि संक्रमणों की दूसरी लहर हमेशा...

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