बजट-2016 को सरकार ने विकास का बजट कहा और अखबारों ने सुर्खियां लगायीं-- ‘नमो ! ग्राम देवता’, ‘किसानों, गरीबों का बजट’, ‘अबकी बार, गांव चली सरकार’, ‘मेरा गांव, मेरा देश’! लेकिन किसानों और वंचित तबके के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे नागरिक संगठनों की राय एक अलग ही कहानी बयां करती है. सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के ग्रामीण परिवारों की भुखमरी की स्थिति पर अपने सर्वेक्षण और हालात में फौरी राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट...
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मांग के बहाने जाटों की ये कैसी मनमानी! - संजय गुप्त
हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर जाट प्रदर्शनकारियों ने जैसा खौफनाक कहर ढाया और आंदोलन के नाम पर जातीय दंगे सरीखे जो हालात उत्पन्न् किए, उसकी जितनी भर्त्सना की जाए, कम है। आरक्षण आंदोलन का ऐसा भयावह हश्र समाज और राजनीतिक दलों के साथ-साथ नीति-नियंताओं को आगाह करने वाला भी है। आरक्षण की जाटों की मांग नई नहीं है। वे 1995 से ही आरक्षण की मांग करते चले आ...
More »किसानों के मन का बजट-- के सी त्यागी
बजट का इंतजार सबको है। खासकर ग्रामीण और कृषक वर्गों में इसकी बेसब्री ज्यादा है। उनके लिए यह बजट ‘रक्षक' या ‘भक्षक' की भूमिका निभाने वाला होगा, क्योंकि पिछले दो बजट में किसानों के लिए कुछ खास नहीं था। आम चुनाव के दौरान किए गए वादों ने उनमें खासा उत्साह भरा था, लेकिन धरातल अनछुआ रह गया। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा 50 फीसदी लाभकारी मूल्य देने की...
More »जातीय विषमता का जहर और आरक्षण की आग - राजकिशोर
हरियाणा और उसके आसपास का बड़ा इलाका जाट समुदाय की आरक्षण की मांग की आग में झुलस गया। इन मांगों का कभी अंत भी नहीं होगा। समानता व सामाजिक उत्थान के लिए आरक्षण की मांगों के पक्ष में कुछ भी तर्क दिए जाएं, लेकिन मुट्ठीभर लोगों का ही भला करने वाले इस तरीके से न तो समानता आने वाली है और न ही समाज में जातियों का जहर मिटने वाला...
More »एमनेस्टी ने की भारत में बढ़ती असहिष्णुता की निंदा
लंदन। एमनेस्टी इंटरनेशन ने भारत में असहिष्णुता बढ़ने की निंदा की है। अपनी रिपोर्ट में इसने कहा है कि भारतीय अधिकारी धार्मिक हिंसा की घटनाओं पर रोक लगाने में विफल हैं। तनाव पैदा करने वाले भड़काऊ भाषण की निंदा करते हुए एमनेस्टी ने कहा है कि बढ़ती असहिष्णुता का शिकार पत्रकार, लेखक, कलाकार और मनवाधिकार कार्यकर्ता होते हैं। इस मानवाधिकार संगठन ने 2015-16 के लिए अपनी सालाना रिपोर्ट में आजादी पर...
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