भुखमरी आज के समाज की एक सच्चाई है परन्तु मध्यप्रदेश के सहरिया आदिवासियों के लिये यह सच्चाई एक मिथक से पैदा हुई, जिन्दगी का अंग बनी और आज भी उनके साथ-साथ चलती है भूख. अफसोस इस बात का है कि सरकार अब जी जान से कोशिश में लगी हुई है कि भूखों की संख्या कम हो. वास्तविकता में भले इसके लिये प्रयास न किये जायें लेकिन कागज में तो सरकार...
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दिन के 6 घंटे खप जाते हैं पानी लाने में
सासाराम [ब्रजेश कुमार]। बिहार के रोहतास जिले के कैमूर पहाड़ी क्षेत्र में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था आसमान से तारे तोड़ने जैसी है। उग्रवाद प्रभावित इस क्षेत्र में महिलायें 5 से 15 किलोमीटर दूर पानी लाने जाती हैं। सुबह घर से निकली महिलाएं शाम को वापस लौट पातीं हैं। दशकों से जारी जल संकट के कारण लोगों की जीवन शैली बदल गई है। जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन के आश्वासनों के बीच समस्या बरकरार है। उग्रवाद प्रभावित रोहतास...
More »सेहत की आड़ में सेहत से खिलवाड़
कैंसर से बचाने के लिए हजारों गरीब बच्चियों को एक विवादित टीका लगाया जा रहा है और ऐसा करने के लिए सरकार, कंपनियां और गैरसरकारी संगठन नियम-कायदों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. शांतनु गुहा रे और कुणाल मजूमदार की रिपोर्ट नागेश्वर और वेंकटम्मा से जब कोई सरिता के बारे में पूछता है तो वे कुछ नहीं कहते. बस दीवार पर टंगी एक फोटो की तरफ इशारा कर देते हैं. आप कुछ...
More »जो लौट के फिर ना आएंगे
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। छत्तीसगढ़ में मंगलवार को लाल सलाम वालों के मुखालिफ खूनी जंग में बरेली और बदायूं के भी दो लाल शहीद हो गए। इनमें बरेली के फरीदपुर थाना क्षेत्र के खेमू नगला गांव का नेत्रपाल सिंह यादव और बदायूं के गुन्नौर इलाके का जमीतुल हसन शामिल है। दोनों सीआरपीएफ मेंहवलदार थे। हवलदार नेत्रपाल सिंह खेमू नगला के अतिराज सिंह यादव के बड़े पुत्र थे। गत पांच दिसंबर से 28 जनवरी तक की...
More »धरती कहे पुकार के
ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...
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