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भोजन के वादे की हकीकत ।। देविंदर शर्मा ।।

खाद्य सुरक्षा कानून संबंधी अध्यादेश पर राष्ट्रपति ने अपनी मुहर लगा दी है. अब हर नागरिक को ‘भोजन का अधिकार' हासिल करने में सरकार मददगार की भूमिका निभायेगी. हालांकि, केंद्र सरकार पिछले कई वर्षो से इस कानून को लाने की कवायद में जुटी थी, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह फैसला चुनाव नजदीक आते देख लिया गया है. इस पूरे मामले में सरकार का पक्ष और इस कानून से किन्हें...

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"मथुरा रेप केस के बाद बलात्कार संबंधी कानूनों को मजबूत किया गया."

प्रकाशन और कई किस्म के सामाजिक हस्तक्षेप के जरिए भारतीय स्त्री विमर्श को एक नई दिशा देने वाली उर्वशी बुटालिया को आज भारतीय नारीवाद की एक पुरजोर आवाज के तौर पर पहचाना जाता है. भारतीय महिला आंदोलनों के बिखराव और उनकी वर्तमान दिशा पर प्रियंका दुबे ने उर्वशी के साथ विस्तार से बातचीत की आप पिछले 45 वर्षों से भारतीय स्त्री विमर्श का हिस्सा रही हैं. इस दौरान हुए बदलावों...

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पंचायत के रास्ते जन तक पहुंचा तंत्र

प्रदीप श्रीवास्तव, नई दिल्ली। तमाम दिक्कतों, सरकारी अवरोधों को गिनाने के साथ मणिशंकर अय्यर मानते हैं कि पंचायत राज व्यवस्था ने जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से प्रशिक्षित लाखों लोगों की एक फौज खड़ी की है। खासकर इससे महिलाओं को आगे लाने में काफी कामयाबी मिली है। पंचायती राज के जरिए जनता देश में 38 लाख प्रतिनिधि चुनती है। इसमें 14 लाख महिलाएं होती हैं। अय्यर के मुताबिक, पिछले 20...

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जमानत के लिए नहीं थे 5000, बिताने पडे़ 19 साल जेल में

नई दिल्ली। यह भारतीय न्यायिक प्रणाली के लिए बड़ा सवाल है? एक महिला को जेल में उन्नीस साल सिर्फ इसलिये बिताने पड़े, क्योंकि उसके पास जमानत लेने के लिये 5000 रुपये नहीं थे। यह महिला पांच हजार रुपये न होने की वजह से उन्नीस साल जेल में सड़ती रही। जेल में ही उसने अपने बेटे को जन्म दिया, उसी बेटे ने 19 साल बाद पैसे जुटाकर मां की जमानत कराई। आज...

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हिंदी पत्रकारिता दिवस विशेष- हिंदी पत्रकारिता : भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी

हिन्दी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है। भारतवर्ष में आधुनिक ढंग की पत्रकारिता का जन्म अठारहवीं शताब्दी के चतुर्थ चरण में कलकत्ता, बंबई और मद्रास में हुआ। 1780 ई. में प्रकाशित हिकी का "कलकत्ता गज़ट" कदाचित् इस ओर पहला प्रयत्न था। लेकिन हिंदी पत्रकारिता की सही मायने में शुरुआत हिंदी के पहले पत्र उदंत मार्तण्ड के प्रकाशित होने के साथ 30 मई 1826 को हुई। इसीलिए इस...

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