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रेप की धमकी, गालियां और भद्दी बातें...ये सब झेलती हैं भारत की महिला नेताएं

बलात्कार की धमकियां, गालियां, महिलाविरोधी कमेंट और भद्दी बातें. भारत की महिला नेताएं ये सब झेलती हैं. 'ट्रोल पेट्रोल इंडिया: एक्सपोज़िंग ऑनलाइन अब्यूज़ फ़ेस्ड बाय वूमन पॉलिटिशियंस' नाम के एक नए अध्ययन में पता चला है कि भारतीय महिला नेताओं को ट्विटर पर लगातार दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है. एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की मदद से किए गए इस अध्ययन में 95 भारतीय महिला नेताओं के लिए किए गए ट्वीट्स की समीक्षा...

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यूपी: राशन के लिए चार-पांच दिन चक्‍कर लगा रहे लोग, ई-पॉश मशीन हो रही फेल

''अरे राशन का मत पूछो, बहुत परेशानी है! जब से अंगूठा लगाकर राशन मिलने लगा है, हमें राशन के लिए कई चक्‍कर लगाने पड़ते हैं। कई बार तो राशन लेने के चक्‍कर में भूखे तक रहना होता है। अब दिन में मजदूरी पर भी नहीं गए और न ही राशन मिल पाया, तो चूल्‍हा कैसे जलेगा?'' यह सवाल करते हुए 35 साल की अनीता की आंखों में बेबसी साफ नजर...

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‘हम दर-दर भटकना नहीं चाहते, हमें बंधुआ मज़दूरी से मुक्ति मिले और हमारा पुनर्वास हो’

बंधुआ मज़दूरी प्रथा को 44 साल पहले यानी 1976 में भले ही ग़ैर-क़ानूनी घोषित किया गया हो, लेकिन अब भी रह-रहकर इसे जुड़ी ख़बरें आती ही रहती हैं. लेकिन न तो मुख्यधारा का मीडिया इन ख़बरों को जगह देता है और न ही सरकार द्वारा इन घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कोई पुख़्ता कदम उठाए जाते हैं. केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के जम्मू की राजौरी तहसील में दो ईंट-भट्ठों...

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मोटे अनाज की प्रोसेसिंग से बना सकते हैं 60 से अधिक उत्पाद

एक समय था जब दक्षिण भारत और उत्तर भारत के कई राज्यों में मोटे अनाज की खेती होती थी, लेकिन कम उत्पादन, मार्केट की समस्या से किसानों ने मोटे अनाज की खेती से मुंह मोड़ लिया। लेकिन एक बार फिर किसान इसकी खेती की तरफ लौट रहे हैं।   भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक किसानों को सावां, कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाज से उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दे रहे...

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पर्यावरण की साथी स्त्रियां

पर्यावरण आंदोलन के उदय का मुख्य कारण पर्यावरणीय विनाश ही रहा है। आलोचकों का कहना है कि स्वाधीनता पाने के बाद से पश्चिमी अनुभव पर आधारित आर्थिक विकास के प्रतिमानों की नकल उतारने की वजह से भारत में प्राकृतिक संसाधनों पर संघर्ष तीव्र हुए। दूसरा, विकास योजनाओं का संसाधनों के सामाजिक पहलुओं से अनजान होना भी संसाधनों के शोषण और उस पर निर्भर लाखों ग्रामवासियों की बदहाली का कारण है।...

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