उत्तर और पश्चिमी भारत के किसानों को इस वर्ष के प्रारंभ में तब भारी संकट का सामना करना पड़ा था, जब बेमौसम बरसात के कारण उनकी रबी की पकी फसलें खेतों में बर्बाद हो गई थीं। उस भयावह अनुभव के बाद (जिसने दस एकड़ से कम कृषि भूमि वाले छोटे और मंझोले किसानों की आर्थिक हालात को काफी प्रभावित किया था) अब हम पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार के कुछ हिस्से,...
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विकास की नीतियां बदलने का वक्त - यशवंत सिन्हा
भारत में घोषित आर्थिक सुधारों का इतिहास 24 साल पुराना है, लेकिन इन 24 वर्षों में भी सुधारों को लेकर जो विवाद हैं, वे अभी तक समाप्त नहीं हुए हैं। आज भी भूमि अधिग्रहण, श्रम कानून, जीएसटी, डायरेक्ट टैक्स (जैसे गार अथवा पिछली तिथि से लागू होने वाले कर) विदेशी पूंजी निवेश इत्यादि अनेक ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर आज भी कोई सहमति नहीं बन पाई है। जब डॉ. मनमोहन...
More »आय में इतनी असमानता क्यों- जयंतीलाल भंडारी
बेशक अभी वैश्विक सुस्ती के बीच भारत की सात फीसदी से अधिक विकास दर चमकती दिखाई दे रही है, लेकिन सामाजिक सुरक्षा के परिदृश्य पर बढ़ती हुई निराशा भी स्पष्ट है। हाल ही में ग्लोबल एचवाच इंडेक्स द्वारा जारी वैश्विक सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट में 96 देशों की सूची में भारत को 71वें स्थान पर रखा गया है। रिपोर्ट में भारत के सामाजिक सुरक्षा परिदृश्य पर चिंता जताई गई है। खासतौर...
More »हरित भारत मिशन से जुड़ेंगे उद्योग
जलवायु परिवर्तन के खतरों से जूझने के लिए पर्यावरण मंत्रालय कई नई पहल पर मंथन कर रहा है। हरित भारत मिशन से कई मंत्रालयों की योजनाओं को जोड़ने के लिए पहल की जा रही है। मनरेगा जैसी महात्वाकांक्षी योजनाओं में इसी अहम भूमिका की संभावनाओं को महसूस कर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इसके लिए काम शुरू कर दिया है। भारत ने पेरिस सम्मलेन को विकासशील देशों पर बंदिशों को थोपने का...
More »सूखे का साया
आखिरकार भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली। उसने इस साल मानसून के कमजोर रहने का अंदेशा जताया था। तब वित्तमंत्री ने कहा था कि घबराने की बात नहीं है, हो सकता है मानसून संबंधी पूर्वानुमान गलत निकले। दरअसल, वित्तमंत्री को बाजार की चिंता सता रही थी और वे निवेशकों को आश्वस्त करना चाहते थे कि सब कुछ ठीकठाक रहेगा। पर अब मौसम संबंधी पूर्वानुमान पहले से कहीं अधिक वैज्ञानिक...
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