नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...
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महिलाओं ने तोड़ी रूढि़यों की जंजीरें
हल्द्वानी [नैनीताल, कमलेश पांडेय]। पहाड़ की अबलाओं ने भी रूढि़यों की जंजीरों को तोड़ मान्यताओं के दुर्गम रास्तों को पार करना सीख लिया है। विभिन्न कारणों से वैधव्य झेल रही महिलाओं ने फिर से विवाह कर न सिर्फ मान्यताओं को खारिज किया, बल्कि अन्य लोगों के लिए जीवन की नई राह बनाई। सरकार ने इन साहसी महिलाओं को प्रोत्साहन योजना से 11-11 हजार रुपये देकर पुरस्कृत किया है। अल्मोड़ा जिले की नीलिमा [काल्पनिक नाम]...
More »'जो इनसान हैं वे हमारा समर्थन करेंगे, राक्षस नहीं'
बालियान खाप के चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत, रेयाज उल हक को बता रहे हैं कि सगोत्र में शादी की इजाजत देना उनकी नस्ल पर हमला है. अब तो केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि वह हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन करने की मांग पर गौर नहीं करेगी. खाप पंचायतें अब क्या करेंगी? सरकार ने तो बोल दिया है, लेकिन जनता न तो चुप बैठेगी न भय खाएगी. जो...
More »बूढ़ी आंखों में नहीं रही जीने की चाह
अमृतसर, [रमेश शुक्ला 'सफर']। वैसे तो डीसी कार्यालय में रोजाना काफी गिनती में फरियादी पहुंचते हैं, लेकिन सोमवार को पहुंची रमदास क्षेत्र की अतर कौर ने डीसी काहन सिंह पन्नू के पास अनोखी फरियाद लगाई। उसने कहा या तो सरकार उसे रोटी दे या फिर मौत। अतर कौर की बूढ़ी आंखों में गरीबी के चलते अब जीने की तमन्ना नहीं रही। उसे अपने जन्म दिन की तारीख तो याद नही, लेकिन उसे यह पता...
More »खाप पंचायतों का बढ़ता खौफ- सुभाष गताडे
नई दिल्ली [सुभाष गाताडे]। इंडियन नेशनल लोक दल के प्रधान ओम प्रकाश चौटाला और काग्रेस के युवा सासद नवीन जिंदल में क्या समानता ढूंढ़ी जा सकती है? अगर राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को देखें या उम्र का फासला देखें तो कुछ भी एक जैसा नहीं है। अलबत्ता खाप पंचायतों को लेकर दिए अपने ताजे बयान के बाद दोनों एक ही तरफ खड़े दिखाई देते हैं। पिछले कुछ समय से खाप पंचायतों की तरफ से एक मुहिम...
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