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बालश्रम का कलंक- निशिकांत ठाकुर

आजादी के छह दशक बीत जाने के बाद भी जो बातें भारत के लिए शर्म की बड़ी वजह बनी हुईं हैं बालश्रम को अगर उनमें सबसे ऊपर रखा जाए तो गलत नहीं होगा। आज भी हमारे देश में करोड़ों बच्चे खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने की उम्र में खेतों से लेकर होटलों और खतरनाक उद्योगों तक में अत्यंत विकट परिस्थितियों में जीतोड़ मेहनत करने के लिए मजबूर हैं। बेफिक्री की उम्र में ही उनके ऊपर इतनी...

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सत्ता के गढ़ में सूचना की सेंध : हर्ष मंदर

लगभग दो दशक पहले जब राजस्थान के गांवों में रोजगार और मजदूरी के लिए संघर्ष करने वाले लोगों के बीच सूचना के कानूनी अधिकार के विचार ने आकार ग्रहण करना प्रारंभ किया, तब बहुत कम लोगों ने यह अनुमान लगाया होगा कि यह विचार इस विशाल देश में लोकतंत्र के स्वरूप को बदल देगा और उसकी जड़ों को और मजबूत बना देगा। आधुनिक भारत में राज्यतंत्र का दखल हमारे जीवन के...

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टीम अन्‍ना भी गई नेताओं की शरण में, समर्थन के लिए आडवाणी से मुलाकात

नई दिल्ली. भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए असरदार लोकपाल विधेयक लाने की मांग कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की टीम ने इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों से मुलाकात शुरू कर दी है। शुक्रवार को इस सिलसिले की शुरुआत करते हुए टीम अन्ना के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, किरन बेदी और मनीष सिसोदिया ने देश की मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात...

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विश्व मीडिया में भी छाया रामदेव का अनशन, कहा हिल गई भारत सरकार

दिल्ली के रामलीला मैदान पर शुरु हुआ भ्रष्टाचार के खिलाफ बाबा रामदेव के अनशन का जिक्र विश्व भर में हो रहा है। विदेशी मीडिया भी रामदेव के अनशन को तवज्जों दे रहा है। ज्यादातर मीडिया संस्थानों ने लिखा है कि भारत में एक योगी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। वहीं कई मीडिया संस्थानों ने रामदेव के अनशन को राजनीति से प्रेरित बताया है।आस्ट्रेलिया की न्यूज वेबसाइट न्यूज डॉटकॉम...

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सरकारी यानी घटिया!- विनोद वर्मा(बीबीसी)

तमिलनाडु के एक पिछड़े ज़िले इरोड के ज़िलाधीश यानी कलेक्टर डॉ आर आनंदकुमार ने अपनी छह साल की बेटी को एक सरकारी स्कूल में भर्ती करवाया है. जब वे इस स्कूल में अपनी बच्ची के दाखिले के लिए पहुँचे तो दूसरे माँ-बाप की तरह कतार में खड़े हुए. दिल्ली के एक अख़बार में इस ख़बर का प्रकाशित होना ही साबित करता है कि यह कुछ असामान्य सी बात है. यक़ीनन ज़िलाधीश को उनके...

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