पहले दिल्ली विधानसभा के उपचुनाव और अब दिल्ली नगर निगम चुनावों के नतीजों से एक बात तो शीशे की साफ हो चुकी है कि दो-तीन साल पहले तक एक नए राजनीतिक तूफान की तरह उभर रहे अरविंद केजरीवाल और उनकी आम अदमी पार्टी यानी 'आप की नैया बुरी तरह डांवाडोल है। इसके लक्षण गिनवाने और क्रम निर्धारित करने की जरूरत नहीं है। कुछ दिन पूर्व दिल्ली विधानसभा की राजौरी गार्डन...
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सरकारी शाहखर्ची और बदहाल किसान-- संजीव पांडेय
र्ष 2014 और 2015 भारतीय किसानों के लिए बुरे थे। दो सालों तक लगातार खराब मानसून के चलते देश के ग्यारह राज्यों के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में सूखे की स्थिति रही। इस स्थिति में भी बिहार के औरंगाबाद जिले के चिल्हकी गांव के किसान खुशहाल थे। वे आज भी खुशहाल हैं। औरंगाबाद-डाल्टेनगंज रोड पर स्थित पिछड़ी जाति बहुल इस गांव की खुशहाली का कारण गांव के ही कुछ...
More »एनडीए के तीन साल- सबसे बड़ी चुनौती रोजगार बढ़ाने की..
अगले महीने शासन के तीन साल पूरा करने जा रही एनडीए सरकार के लिए रोजगार सृजन के मोर्चे से बुरी खबर है ! देश के तकरीबन लगभग 50 फीसद राज्यों में बीते सालों में रोजगार के अवसरों में कमी आई है. बीते छह फरवरी को केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि 2013-14 की तुलना में 2015-16 में बेरोजगारी दर में...
More »पाबंदियों के दौर में- तवलीन सिंह
पिछले हफ्ते जिस दिन अफगानिस्तान में आइएसआइएस की पहाड़ी गुफाओं पर हमला किया अमेरिका ने, मैं दिल्ली के एक जापानी रेस्तरां में दोपहर का खाना खाने गई थी। दो किस्म की सूशी मंगवाई और एक गिलास नाशिक में बनी सफेद वाइन का। वाइन आई, ठंडा घूंट लिया और सोचने लगी डोनल्ड ट्रंप के नए हमले के बारे में। सोच में डूब रही थी कि देखा वेटर मेरे आसपास मंडरा रहा...
More »किसानों से अब भी दूर है फसल बीमा योजना-- के सी त्यागी
पिछले साल की तरह इस साल भी अप्रैल की बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने रबी की फसल व बागवानी को काफी नुकसान पहुंचाया। इस प्राकृतिक आपदा ने पहले से बदहाल किसानों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। उत्तर भारत में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य भारत में विदर्भ के किसान इससे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अब लाखों किसान सरकारी कार्यालयों और बीमा कंपनियों के चक्कर काटने को...
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