अगर कोई पूछे कि मुंबई महानगर में झोपड़ बस्तियों को हटाने की दिशा में जो काम हो रहा है, उसका क्या असर पड़ा है तो इस सवाल का एक जवाब ये भी हो सकता है- आने वाले दिनों में झोपड़ बस्तियों की संख्या बढ़ सकती है. मुंबई महानगर का कानून है कि जो बस्ती लोगों के रहने लायक नहीं है, उसे स्लम घोषित किया जाए और वहां बस्ती सुधार की योजनाओं...
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मौत व कलंक के भय पर सेवा भारी
रांची [नीरज अंबष्ठ]। एड्स! जिसकी परिणति कलंक व निश्चित मौत। पूरे परिवार को बर्बाद कर देने वाली बीमारी। जाने-अनजाने में जिसे हो जाए, उसके अपने ही उससे दूर भागने लगते हैं। कहीं छूने-सटने से उसे भी.। बेघर तक किए जाते हैं। लेकिन एड्स पीड़ितों की सेवा और उनके लिए कुछ करने की उमंग को क्या कहेंगे? सिस्टर प्रमिला कुजूर को न तो मौत से डर है, और न ही कलंक से। एड्स पीड़ितों की सेवा की...
More »विकसित देशों कम है देश में कृषि रसायनों की खपत
हिसार, जागरण संवाददाता हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट वैज्ञानिकों के मुताबिक देश में हालाकि विकसित देशों के मुकाबले कीटनाशक रसायनों की कृषि में खपत बहुत कम है फिर भी कृषि उत्पादों तथा पर्यावरण में इन हानिकारक रसायनों के अवशेष मिलना आम बात है जोकि मानव स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है। खाद्य पदार्थो तथा पर्यावरण में कीटनाशक रसायनों के निर्धारित सुरक्षित मात्रा से अधिक अवशेष पाए जाने पर उन्होंने चिंता व्यक्त की है। विश्वविद्यालय के...
More »विकास से चूके तो और विनाशक होंगे नक्सली
नई दिल्ली, राजकिशोर। नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास की धीमी गति से केंद्र असंतुष्ट है। केंद्र सरकार ने राज्यों से आपरेशन के साथ-साथ युद्धस्तर पर ही बुनियादी ढांचे से लेकर लोगों को रोजगार से जोड़ने वाली योजनाएं पूरी करने को कहा है। गृह मंत्रालय ने साफ कहा है कि हमेशा संगीनों के साये में विकास कार्य नहीं हो सकते, लिहाजा इसमें तेजी लाकर सीधे लोगों से जुड़कर उनके दिल में जगह बनाएं। राज्यों को चेतावनी दी...
More »कहीं ये छोटे हिमयुग की शुरुआत तो नहीं
वाशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र के एक जलवायु विशेषज्ञ ने अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में अंटाकर्टिका जैसी ठंड पड़ने पर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि यह एक छोटे हिमयुग की शुरुआत हो सकती है। आने वाला समय में सर्दी और बेदर्द होगी। साथ ही मैदानी इलाकों में भी हिमपात का अनुपात बढ़ेगा। जर्मनी की केल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण परिवर्तन की रिपोर्ट के लेखक मोजिब लातिफ अगले 30 साल...
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