जनसत्ता 12 मार्च, 2013: आखिर संघ लोक सेवा आयोग पर अंग्रेजी का झंडा फहर ही गया। 2013 में संघ की भारतीय प्रशासनिक और अन्य केंद्रीय सेवाओं में भर्ती के लिए सिविल सेवा परीक्षा के रूप में होने वाली संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा से भारतीय भाषाओं का परचा आखिर गायब हो गया। यों इसकी शुरुआत 2011 में ही प्रारंभिक परीक्षा (नया नाम: अभिक्षमता परीक्षण उर्फ एप्टिट्यूट टेस्ट) में कर दी...
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महंगाई पर पहली बार साथ हड़ताल पर जाएंगे मजदूर संघ
नई दिल्ली। पेट्रो कीमतों में ताजा वृद्धि से नाराजमजदूर संगठन केंद्र सरकार के खिलाफ पहली बार एक साथ हमला बोलने जा रहे हैं। महंगाई रोकने में सरकार की नाकामी के खिलाफ 11 केंद्रीय कर्मचारी संगठनों और मजदूर संघों ने 20 फरवरी से दो दिनी राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। भाजपा ने भी सड़कों पर उतरने का संकेत दिया है। एटक महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने शनिवार को कहा कि...
More »मनरेगा कर्मियों की केन्द्रीय कर्मचारी घोषित करने की मांग
नयी दिल्ली। केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम... ‘मनरेगा’ के तहत दूरदराज गांवों में प्रशासनिक सहायक के तौर पर काम करने वाले कर्मचारियों ने उन्हें केन्द्रीय कर्मचारी बनाने और समूचे मनरेगा प्रशासन को अलग विभाग घोषित करने की मांग की है। मनरेगा कार्यक्रमों में रोजगार सेवक तथा तकनीकी सहायक, लेखा सहायक, कंप्यूटर आपरेटर और अन्य कार्यक्रम अधिकारी के तौर पर काम करने वाले मनरेगा कर्मचारियों के...
More »अंबुजा सीमेंट प्लांट में पांच सौ टन गर्म राख में दबे कई श्रमिक
बलौदा बाजार। अंबुजा सीमेंट प्लांट में गुरुवार सुबह करीब 11 बजे बड़ा हादसा हो गया। प्लांट के तीन हापर के गिर जाने से वहां काम कर रहे दर्जनभर से अधिक श्रमिक 500 टन से अधिक गर्म फ्लाई ऐश के नीचे दब गए। दुर्घटना में पांच-छह श्रमिकों के मरने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि...
More »बाजार नहीं, जनहितैषी नीतियां बनाये सरकार- जोसेफ स्टिग्लिज
- अर्थशास्त्र के लिए 2001 में नोबल पुरस्कार जीतनेवाले प्रो जोसेफ इ स्टिगलिट्स ने सोमवार को पटना में आद्री के स्थापना दिवस व्याख्यान में बाजार, सरकार व समाज की भूमिका से लेकर अमेरिका के संकट तक को बहुत आसान शब्दों में रखा और बताया कि पूंजीवाद को लगातार पुनर्परिभाषित करते रहने की जरूरत क्यों है. हमलोग उनके इस व्याख्यान के बरक्स अपनी सरकारों के नीतिगत फैसलों, बाजार की भूमिका और अपने समाज...
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