खाद्य सुरक्षा विधेयक में भारत के लाखों गरीबों और वंचितों की नियति बदलकर रख देने की क्षमता है। दो साल चली बहस के बाद केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दी। खबरों से पता चला है कि प्रस्तावित कानून के संबंध में स्वयं कैबिनेट मंत्रियों की धारणाएं अलग-अलग थीं। इस पर हुई बहस में भारत में व्याप्त असमानता की संस्कृति की झलक भी मिली। यह भी पता चला कि इस कारण...
More »SEARCH RESULT
खाद्य सुरक्षा की खातिर - सुभाष वर्मा
जनसत्ता 5 जनवरी, 2012: पूरी दुनिया में एक सौ पचीस करोड़ से अधिक लोग भूख से त्रस्त हैं, जिनमें से एक तिहाई लोग भारत के गरीब हैं। नवीनतम वैश्विक भूख सूचकांक में भारत का स्थान बहुत नीचे, इक्यासी देशों के बीच सड़सठवां है। इसलिए यह स्वागत-योग्य है कि भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाला विधेयक संसद में पेश किया है। इस विधेयक में ग्रामीण इलाकों की पचहत्तर फीसद और...
More »कृषि पर खर्च होंगे डेढ़ लाख करोड़
पटना : सूबे में कृषि के विकास पर 2012 से 2017 तक एक लाख 52 हजार 511 करोड़ रुपये खर्च होंगे. मंगलवार को कृषि कैबिनेट की पांचवीं बैठक में कृषि रोड मैप के एजेंडे और खर्च होनेवाली राशि तय की गयी. पांच वर्षो में 60 हजार करोड़ अतिरिक्त खर्च करने की सहमति बनी. साथ ही कृषि कैबिनेट में शिक्षा विभाग को भी शामिल कर लिया गया है. उच्च व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों...
More »कृषि उत्पादन नहीं, मूल्य बढ़ायें- भरत झुनझुनवाला
अर्थव्यवस्था में तीव्र विकास के बावजूद कृषि और किसानों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है. पिछले साठ वर्षो में प्रत्येक सरकार ने कृषि में सुधार का संकल्प लिया है, किंतु स्थिति बिगड़ती गयी है, जैसा कि आत्महत्या की बढ़ती संख्या से अनुमान लगता है. मूल कारण यह है कि सरकार का ध्यान कृषि उत्पादन में वृद्धि की ओर ज्यादा रहा है, मूल्यों में वृद्धि की ओर कम. मान्यता है कि...
More »खुदरा खैर करे- सुधीरेंद्र शर्मा(तहलका,हिन्दी)
रिटेल क्षेत्र में एफडीआई के फैसले को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है. मगर क्या यह हमारे हर मर्ज की दवा है जैसा कि सरकार हमें समझाती रही है? सुधीरेंद्र शर्मा का आकलन जाकी रही भावना जैसी एफडीआई देखी तिन तैसी खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर छिड़ी राजनीतिक रस्साकशी ने तुलसीदास की इन पंक्तियों को पुनः सार्थक किया है. एकल ब्रांड कारोबार में 51 और मल्टी-ब्रांड कारोबार में 100...
More »