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‘सरकारें चाहती हैं कि संसाधनों पर जनता का कोई नियंत्रण न रहे’- मेधा पाटकर

सरदार सरोवर बांध का डूब क्षेत्र 214 किलोमीटर का है. इस परियोजना से लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं. इससे विस्थापित होने वालों में 50 प्रतिशत आदिवासी और 20 प्रतिशत से ज्यादा लोग गरीब और वंचित समुदायों के हैं. नर्मदा बचाओ आंदोलन की शुरुआत जनशक्ति के आधार पर हुई है. अब तक जो हासिल हुआ वह लंबे मैदानी संघर्ष और कानूनी लड़ाइयों की वजह से संभव हुआ है. इस आंदोलन...

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट हुआ डिजिटल, ई-वर्जन पेश होगा और ई-नोटिस जारी होंगे

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने डिजिटल इंडिया की ओर कदम बढ़ाया है। ई-टेंडर से जुड़ी याचिका पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को प्रकरण का डिजिटल वर्जन प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। अधिवक्ता को एक सप्ताह के अंदर पूरा प्रकरण सीडी में प्रस्तुत करना होगा। इसके बाद पक्षकार को ई-नोटिस दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में यह पहला मामला होगा, जिसमें ई-नोटिस जारी होगा। स्वास्थ्य विभाग के लिए निर्माण करने वाली...

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सूखे से निपटने के लिए राज्‍य सरकार की अब तक प्लानिंग नहीं

भोलाराम सिन्हा, रायपुर। छत्तीसगढ़ में अल्पवर्षा व अवर्षा के कारण सूखे की स्थिति निर्मित हो रही है। राज्य सरकार ने प्रदेश की 150 में से 93 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करने का भी निर्णय ले लिया है। अब इन सूखाग्रस्त इलाकों में पेयजल, रोजगार, जीवनरक्षक दवाइयां, पशुचारा, पशु टीकाकरण, पोषण आहार, खाद्य सुरक्षा, कृषि अनुदान, खरीफ व रबी फसलों को बचाने की चुनौती है। सूखे की स्थिति से निपटने के...

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किशोरों में बढ़ती आत्महत्याएं- अंजलि सिन्हा

कोटा के कोचिंग संस्थानों में तनावग्रस्त बच्चों तथा इनमें से कुछ के आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाने की खबरों के बीच तथा शेष समाज में इसके प्रति व्यक्त की जा रही चिंताओं के चलते कोटा शहर के 40 कोचिंग संस्थानों ने मिल कर चौबीस घंटे की हेल्पलाइन सेवा शुरू की है, जो परेशान छात्रों की काउंसेलिंग करेगी. निश्चित ही ऐसी सेवा शुरू होने से छात्रों को शेयरिंग का एक...

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हिंदी सम्मेलन में खो गया बहुभाषीय भारत - डॉ अनिल सद्गोपाल

विश्व हिंदी सम्मेलन सरकारी जश्न था। सरकारी जश्नों की तरह यह जश्न भी कुछ मिथकों पर टिका हुआ था। इसका सबसे बड़ा मिथक था कि हिंदी का विकास बहुभाषीय भारत की तमाम समृद्ध भाषाओं को हाशिए पर धकेलकर करना संभव है। कहीं दूर से भी यह संदेश नहीं निकला कि जिस अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ हिंदी संघर्ष कर रही है, उसी के खिलाफ बाकी भारतीय भाषाएं भी जूझ रही हैं...

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