हाल ही में कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल पुरस्कार दिए जाने से भारतीय समाज में पसरी बाल श्रम की बुराई दुनिया भर में उजागर हुई है। बारह साल पहले जब मैं भारत से अमेरिका आया था, तो यहां बाल श्रमिकों की अनुपस्थिति ने मेरा ध्यान बरबस आकर्षित किया था। भारत में हम ढाबों, रेस्तरां, बाजारों व होटलों में अक्सर बच्चों को काम करते देखते हैं। ये दृश्य हम में से...
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मनरेगा पर नयी सरकार की सोच - चंदन श्रीवास्तव
किसी एक को या कुछ एक को मिले तो वह ‘दान' या फिर ‘उपहार' कहला सकता है, अधिकार नहीं. देनेवाले ने दया-दृष्टि से दिया तो ‘दान' और अगर चुनने-छांटने के मामले में अपने को आजाद मान कर दिया, तो ‘उपहार'. अधिकार न तो ‘दान' होता है और ना ही ‘उपहार', वह एक गुण की तरह है. जैसे दाल में नमक डालने से दाल के कण-कण नमक से भींग जाते हैं,...
More »मनरेगा - क्या जीविका के अधिकार को सीमित किया जा सकता है?
राजनीति का सामान्य विद्यार्थी जानता है कि अधिकार अपने स्वभाव में सार्विक होते हैं। लेकिन क्या वह यह अनुमान लगा सकता है कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई कोई सरकार अपने बहुमत के बूते किसी सार्विक अधिकार का दायरा चंद लोगों तक सीमित कर सकती है ? महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में फेरबदल की केंद्र सरकार की हालिया योजना जीविका के सार्विक अधिकार का दायरा सीमित करने की...
More »'बाल-मजदूरी के खात्मे तक करूंगा संघर्ष'- कैलाश सत्यार्थी
नई दिल्ली। शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे 'बचपन बचाओ आंदोलन' के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी को वर्ष 2014 का शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिलने की उनके स्टाफ ने जानकारी दी, तो पहले उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। फिर अचानक उनके मुंह से निकला, ‘नोबेल पुरस्कार'। ये वो पल थे, जब उनकी अांखें पहली बार नम देखी गईं। इससे पहले उनके स्टाफ या परिवार के लोगों ने उन्हें इतना भावुक नहीं...
More »नोबेल शांति पुरस्कार का पैगाम - सत्येंद्र रंजन
भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई के संयुक्त रूप से नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने पर बेशक दोनों देशों के वंचित समूहों के बच्चों और उनके अधिकारों पर नए सिरे से रोशनी पड़ेगी। सत्यार्थी के 'बचपन बचाओ आंदोलन" ने इस कड़वी हकीकत से देश को परिचित कराए रखा है कि बंधुआ मजदूरी को अपराध बनाने, बाल मजदूरी को गैरकानूनी ठहराने और प्राथमिक शिक्षा को मूल अधिकार...
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