बेंगलूर। दूसरों की जमीनों पर अपने खून-पसीने से 'सोना' पैदा करने वाले हजारों किसानों की किस्मत बदल सकती है। अपने मुल्क में न सही, लेकिन कुछ अफ्रीकी देशों में उन्हें खेती करने और उस जमीन का मालिक बनने का मौका जरूर मिल सकता है। ये अफ्रीकी देश 99 साल के पट्टे पर अपनी भूमि विदेशी किसानों को मुफ्त में देने को तैयार हैं। चीन समेत कई देशों के किसानों ने...
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अब अधिक धन प्राप्त कर रहे हैं किसान
नई दिल्ली। कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि गेहूं और धान के खरीद मूल्य में वृद्धि के बाद किसानों के हाथ में अब अधिक पैसा पहुंच रहा है। पवार ने कहा कि हमें लोगों को बताना है कि किसानों के हाथ में अधिक पैसा जा रहा हैं। गेहूं के खरीद मूल्य को 500 रुपये से बढाकर 1100 रुपये और धान के खरीद मूल्य को 490 रुपये से बढ़ाकर 1000...
More »बाढ़ से दो-दो हाथ करेंगी बहू-बेटियां
खगड़िया [निर्भय]। बाढ़ रूपी आपदा से अब नहीं होगी जानमाल की अपूर्णीय क्षति। कारण यह कि फरकिया अर्थात खगड़िया की बहू-बेटियों ने इससे दो-दो हाथ करने के लिए कमर कस ली है। यहां की 30 महिलाएं बाढ़ में बचाव को लेकर बूढ़वा घाट के समीप 'हिलकोर' मारती बागमती में एक जुलाई से ट्रेनिंग ले रही हैं। इन्हें न केवल बाढ़ के डूबते हुए लोगों को बचाने की, बल्कि सांप...
More »विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »दालों की खेती पर नहीं, आयात पर बढ़ाया खर्च
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। दालों के आयात के लिए 5000 करोड़ रुपये और दलहन खेती के लिए औसतन सालाना केवल 500 करोड़ रुपये। समझा जा सकता है कि दालों की पैदावार क्यों नहीं बढ़ रही है। पिछले चार सालों में सरकार ने जितना धन दलहन की खेती के प्रोत्साहन के लिए दिया है, उससे दोगुना हर साल दालों के आयात पर खर्च होता है। जब खेती बेहतर करने में...
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