भोजन का अधिकार जीने के अधिकार से जुड़ा हुआ है और संविधान का अनुच्छेद 21 सभी नागरिकों को जीने का अधिकार प्रदान करता है। इस लिहाज से प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक स्वागतयोग्य है। पिछले दो दशकों में भारत में भूख एक बड़ी समस्या के रूप में उभरी है। 1991 में जब आर्थिक सुधार कार्यक्रम शुरू किए गए थे, तब प्रति व्यक्ति भोजन की खपत 178 किलोग्राम थी, जो 2003 में...
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पोंटी के प्यार में यूपी सरकार- जयप्रकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट
शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा की गाजियाबाद स्थित परियोजना वेव सिटी अपनी शुरुआत से ही नियम-कायदों की भयानक अनदेखी और किसानों के दमन का उदाहरण रही है.जयप्रकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट बताती है कि किस तरह उत्तर प्रदेश में अलग-अलग समय पर रही सरकारों ने इस परियोजना के प्रति खास दरियादिली दिखाई किस्तों में कत्ल हुआ मेरा, कभी खंजर बदल गए, कभी कातिल बदल गए... कुछ ऐसी ही पीड़ा है गाजियाबाद से सटे नायफल...
More »लाल ईंटों की दीवार के परे : हर्ष मंदर
भारत के सबसे बेहतरीन बिजनेस स्कूलों में से एक आईआईएम अहमदाबाद के विशाल छायादार कैम्पस में लाल ईंटों की एक दीवार है। इस दीवार के दूसरी तरफ अनेक बेसहारा लोगों का बसेरा है। इनमें कचरा बीनने वाले, निर्माण श्रमिक और भिखारी शामिल हैं। मेरे एक छात्र ने इस विडंबना को रेखांकित करते हुए कहा था कि महज सौ मीटर के फासले पर दो अलग-अलग दुनियाएं बसी हैं। एक दुनिया वह है, जहां...
More »चाय बागान मजदूरों को मिले भोजन का अधिकार
दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र, तराई व डुवार्स के चाय बागानों के मजदूरों की दयनीय दुर्दशा के मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने को 20 संगठन व संस्थाएं आगे आई हैं। इन संगठनों की ओर से संयुक्त रूप से 'नॉर्थ बंगाल राईट टू फूड कैंपेन' यानी 'उत्तर बंगाल भोजन का अधिकार अभियान' का बिगुल फूंका गया है। इसके तहत रविवार को एक इन संगठनों की ओर से हजारों चाय बागान मजदूरों को लेकर...
More »पेट भरने के लिए किडनी बेच रहा बंगाल का एक गांव
पश्चिम बंगाल के एक गांव में भुखमरी का आलम यह है कि पेट की भूख मिटाने के लिए लोग पेट के अंग ही बेच रहे हैं। उत्तर दीनाजपुर इलाके के बिंदोल गांव को किडनी गांव भी कहा जाने लगा है। भुखमरी ने इस गांव में हर दूसरे घर के पुरुष को किडनी बेचकर परिवार का भरण पोषण करने के लिए मजबूर कर दिया। द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव...
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