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पुलिस सुधार की मरीचिका- सत्येंद्र रंजन

जनसत्ता 12 अगस्त, 2013: सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पुलिस सुधारों का मुद्दा फिर चर्चा में है। सात साल पहले सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस सुधारों के बारे में व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए थे। लेकिन उसका क्या अंजाम हुआ यह इस मामले में न्यायमित्र (एमिकस क्यूरे) की भूमिका निभा रहे महाधिवक्ता जीएम वाहनवती द्वारा न्यायालय को दी गई इस सूचना से जाहिर है कि राज्य सरकारों ने पुलिस सुधारों पर मामूली...

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ग्राम सभाएं दिलायेंगी असली आजादी

कहते हैं लोक सभा न विधान सभा, सबसे ऊंची ग्राम सभा. इस बात को ओड़िशा के नियमगिरि पहाड़ पर खनन रोकने से संबंधित ग्राम सभा के फैसलों ने और पुष्ट किया है. वेदांता जैसी बड़ी वैश्विक कंपनी को ग्राम सभा के फैसलों के आगे झुकना पड़ रहा है. मगर अपने राज्य झारखंड में गांव के लोगों ने अब तक ग्राम सभा की ताकत को नहीं पहचाना है. पंचायती राज के हक...

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ईमानदार और गरीबों के हमदर्द के रूप में जाने जाते हैं जस्टिस आरए मेहता

नई दिल्ली। गुजरात हाईकोर्ट में 14 वर्षो तक अपनी सेवाएं देने के बाद पद से रिटायर हुए जस्टिस आरए मेहता राज्य के लोकायुक्त पद को अस्वीकार कर देने के बाद से सुर्खियों में हैं। उनकी छवि एक ईमानदार और गरीबों के हमदर्द के रूप में है। गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीबाल ने अगस्त 2011 में जस्टिस आरए मेहता को राज्य का लोकायुक्त नियुक्त किया था। लेकिन इसके बाद हुई खींचतान...

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गरीबी और सरकारी अमानवीयता- एम जे अकबर

यह इनसानी स्वभाव है कि व्यक्ति अगर अच्छे मूड में हो, तो वह अपने सहयोगी को इंतजार कर रही त्रासदी से बचाने में गर्व महसूस करता है. एक दागदार व्यक्ति को सतत रूप से जारी फिजूल तमाशे से बचाना एक अच्छा मौका हो सकता है. संभवत: वक्त आ गया है जब हम सब मिल कर 28 साल पहले दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान लोगों को हत्या और...

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बदलते बिहार में मिड-डे मील- अश्विनी कुमार

मिड-डे मील से बच्चों की मौत ने न केवल देश की अंतरआत्मा को झकझोरा है, बल्कि बिहार में सुशासन व चमत्कारिक विकास की कमजोर नींव को भी उजागर किया है. पहले बगहा में 6 थारू आदिवासियों की पुलिस फायरिंग में मौत, फिर बोधगया आतंकी हमले के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राजनीतिक जीवन में नौकरशाही के सहारे शासन चलाने के आरोप से बचने के लिए संभवत: सबसे कठिन हालात का...

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