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गरीबों पर मेहरबान हुई सरकार

पंजाब सरकार गरीबों पर पूरी तरह से मेहरबान नजर आ रही है। प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के बावजूद राज्य में एक बार फिर से नीले कार्डो पर राशन जारी कर दिया गया है। फूड व सिविल सप्लाई विभाग के मार्फत सरकार द्वारा फरवरी माह में जारी किया गया राशन कई शहरों में बांटना भी शुरू कर दिया गया है। मामले को लेकर चुनावों के दौरान कांग्रेस ने इसका...

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वित्तमंत्री की नींद क्यों उड़ी है- आनंद प्रधान

जनसत्ता 15 फरवरी, 2012 : वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की नींद उड़ गई है। उनका कहना है कि जब भी वे सब्सिडी के बढ़ते बोझ के बारे में सोचते हैं, उनकी रातों की नींद उड़ जाती है। असल में, वित्तमंत्री ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में विभिन्न मदों (खासकर खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम) में कुल 1.43 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी का अनुमान लगाया था, लेकिन रिपोर्टों के मुताबिक, इसमें लगभग एक लाख...

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देश में इस साल होगा 25 करोड़ टन का रिकार्ड खाद्यान्न उत्पादन : मनमोहन

नयी दिल्ली, 15 फरवरी (एजेंसी) प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि इस साल देश में खाद्यान्न उत्पादन 25 करोड़ टन की रिकार्ड उच्च्चाई पर पहुंच सकता है। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा वर्षा आधारित खेती पर आज यहां आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित करते प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि उपज बढ़ाने के लिए किए गए प्रयासों के अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं और इस साल खाद्यान्न उत्पादन का रिकार्ड...

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खाद्य सुरक्षा बिल से ज्यादा नहीं बढ़ेगा सब्सिडी बोझ

नई दिल्ली, एजेंसी : केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी भले ही खाद्य सुरक्षा विधेयक के अमल से सब्सिडी का बोझ बढ़ने को लेकर परेशान हो, लेकिन सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री केवी थॉमस ने रविवार को कहा कि प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक (एनएफएसबी) से सरकार पर ज्यादा वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी पिछले दिनों बढ़ती सब्सिडी को लेकर चिंता जता...

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सदिच्छा का सत्यानाश- इर्शादुल हक

सैकड़ों करोड़ रु की जिस रकम से बिहार के स्कूलों की तस्वीर बदल सकती थी उसका ज्यादातर हिस्सा भ्रष्टाचारियों की जेब में चला गया. इर्शादुल हक की पड़ताल सत्ता के शीर्ष से चले अच्छे इरादों का जमीन तक पहुंचते-पहुंचते किस तरह बंटाधार हो जाता है, इसका उदाहरण है यह घोटाला. इससे यह भी साफ होता है कि योजनाएं कितनी भी अच्छी बन जाएं, जब तक उन्हें अमली जामा पहनाने वाले तंत्र...

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