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देश के 361 वेयरहाउस जारी कर सकेंगे नेगोशिएबल रसीद

ट्रेडर्स और किसान अब 361 वेयर हाउसों में जिंसों का भंडारण करके नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद (एनडब्ल्यूआर) प्राप्त कर सकेंगे। भंडारण विकास एवं नियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) देशभर में 361 वेयर हाउसों को मान्यता दे चुका है, जिनकी लगभग 15.50 लाख टन खाद्यान्न की कुल भंडारण क्षमता है। ट्रेडर्स और किसानों के फायदे के लिए डब्ल्यूडीआरए अब प्राइमरी सहकारी संस्थाओं के गोदामों को भी मान्यता दे रहा है। इन रसीदों के आधार पर बैंकों...

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गन्ने की कड़वाहट- अरविन्द कुमार सेन

जनसत्ता 30 नवंबर, 2013 : सियासत का हद से ज्यादा हस्तक्षेप किस तरह एक संगठित उद्योग को तबाही के कगार पर ला खड़ा करता है, गन्ना उद्योग इसकी मिसाल है। कुछ समय पहले सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलस चुके मुजफ्फरनगर-शामली इलाके के लोगों को अब गन्ने के दाम की फिक्र सता रही है। आमतौर पर उत्तर प्रदेश में सरकार अगस्त-सितंबर में मिल मालिकों और किसानों से बातचीत करके आरक्षी क्षेत्र...

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आदिवासी विमर्श का दायरा- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 25 नवंबर, 2013 : बढ़ता कृषक असंतोष, छिटपुट विस्फोटों से प्रकट हो रहा है- भू-स्वामियों के बढ़ते शोषण और दमन के विरोध में सशस्त्र प्रतिरोध की तरफ बढ़ता हुआ यह घटनाचक्र पूरे देश के पैमाने पर, विशेषकर आदिवासियों की तरफ फैलता जा रहा है।’ क्या शीर्षक (आदिवासी: शोषितों में सबसे बुरी स्थिति) समेत इन पंक्तियों के बारे में यह ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सकता है कि ये कब लिखी गई होंगी?...

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हिमाचल प्रदेश 15 लाख टन सब्जियां पैदा करेगा

नई दिल्ली। उत्तर क्षेत्र में बेमौसमी सब्जियों की खेती के लिए ‘प्राकृतिक ग्लास हाउस’ के तौर पर उभरे हिमाचल प्रदेश ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक 15 लाख टन सब्जियों के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि राज्य ने 70,000 हेक्टेयर क्षेत्र में बेमौसमी सब्जियों की खेती करने की योजना बनाई है। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में सब्जियों की खेती किसानों के बीच तेजी...

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मजबूरी में पलायन करते हैं झारखंडवासी

इटली, मलेशिया, चीन और अब साउथ कोरिया में जनसंख्या और पलायन जैसे विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत कर चुके कुणाल केसरी झारखंड के लोहरदगा जिले के रहने वाले हैं. वे इंटरनेशलन इंस्टीटय़ूट फोर पॉपुलशन साइंस मुंबई के सीनियर रिसर्च फेलो रह चुके हैं और फिलहाल मौसमी पलायना पर पीएचडी कर रहे हैं. वे झारखंड छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तरप्रदेश में हर साल होने वाले मौसमी पलायन पर रिसर्च कर रहे हैं....

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