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चुनावी प्रक्रिया में परिवर्तन जरूरी--- शरत कुमार

हम सौभाग्यशाली हैं कि देश की चुनाव प्रक्रिया ही कार्यकारी राजनीतिक शक्ति का एक मात्र मार्ग है. हाल के साफ-सुथरे चुनावी परिणाम इसका सबूत हैं. हालांकि, चुनावी-प्रक्रिया में अनेक सुधारों के बावजूद आज भी आम जनता की राय में चुनावी प्रक्रिया देश की मूल खराबियों का मुख्य कारण है, जैसे कि सरकारी खजाने की चोरी, कालेधन की अपार महत्ता आदि. इन सब से जनता का चुनावी पद्धति और व्यवस्था में...

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महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त विदर्भ और मराठवाड़ा में अगले दो दिन खूब बरसेंगे मेघ : मौसम विभाग

मुंबई: भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने सूखाग्रस्त विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों में अगले दो दिनों में भारी बारिश का पूर्वानुमान लगाया है। विभाग ने कहा कि मॉनसून ने करीब 90 प्रतिशत महाराष्ट्र को कवर किया है। महाराष्ट्र के 90% हिस्सों में पहुंचा मॉनसून विभाग के मौसम पूर्वानुमान निदेशक वीके राजीव ने कहा, 'मॉनसूनी हवाओं ने करीब 90 प्रतिशत महाराष्ट्र को कवर कर लिया है। मराठवाड़ा और विदर्भ में अब तक हल्की बारिश...

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उत्पादन में रोबोट का बढ़ रहा है दखल, जॉब्स पर असर..

उत्पादन की प्रक्रियाओं में रोबोट के बढ़ते दखल से दुनियाभर में जॉब्स को लेकर चिंता बढ़ रही है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन भी पिछले दिनों इस संबंध में चिंता जता चुके हैं. अनेक वैश्विक संस्थाएं लगातार इसका अध्ययन कर रही हैं और उनकी रिपोर्ट बताती है कि वाकई में भविष्य में अनेक प्रकार के इनसानी जॉब्स पर रोबोट के हावी होने का खतरा बढ़ रहा है....

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अर्थव्यवस्था के तीन इंजन-- भरत झुनझुनवाला

सरकार का दावा है कि अर्थव्यवस्था 7.6 प्रतिशत की सम्मानजनक गति से आगे बढ़ रही है. हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर विकास नहीं दिख रहा है. महाराष्ट्र के सीमेंट विक्रेता ने बताया कि बिक्री 30 प्रतिशत कम है. दिल्ली के टैक्सी चालक ने कहा कि बुकिंग कम हो रही है. इसके विपरीत बड़ी कंपनियां ठीक-ठाक हैं. बहरहाल, आम आदमी का धंधा कमजोर है. संभवतया इसका प्रमुख कारण मोदी...

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लोगों को हुनर सिखाकर बदल सकते हैं समाज-- दशरथ सूर्यवंशी

बरसों से जलसंकट से जूझ रहे महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल के उदगीर जिले के रावणकोल में पलते-बढ़ते समय एक अलग ही तरह का सामाजिक बदलाव मेरी नज़र में आया। जल-संकट के कारण उजड़ती खेती के साथ उजड़ते गांव। लोग आजीविका की तलाश में शहर चले जाते। परिवार बिखरते। ग्रामीण अर्थव्यवस्था, खेती और ग्रामीण व्यवस्था ही नहीं बदल रही है बल्कि सामाजिक मेल-जोल व एकजुटता खत्म हो रही है, क्योंकि घट...

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