नई दिल्ली। मंत्री शरद पवार ने आज इस बात से इन्कार किया कि खाद्य सुरक्षा कानून को लेकर उनकी कोई आपत्ति है। पर उन्होंने कहा कि देश में अनाज का उत्पादन बढा कर दुनिया के इस सबसे बड़े सामाजिक कल्याण कार्यक्रम को सफल बनाया जाना चाहिए न कि अनाज का आयात कर के। उन्होंने कहा कि चूंकि खाद्य सब्सिडी पर खर्च प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 1,000 रूपए तक पहुंच गया है...
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राज्य में 1.04 लाख शिक्षकों के पद रिक्त
कोलकाता/नयी दिल्ली: पश्चिम बंगाल के स्कूलों में 1.04 लाख शिक्षकों के पद रिक्त हैं, जबकि देशभर के स्कूलों में शिक्षकों के 11.87 लाख पद रिक्त हैं. मध्याह्न् भोजन योजना में स्वच्छता व सुरक्षा सुनिश्चित करने, इस योजना की निगरानी के लिए अधिकार संपन्न समिति गठित करने, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा मिशन गठित करने जैसे विषयों पर केंद्र और राज्यों के शिक्षा मंत्री, शिक्षाविद व अन्य पक्ष विचार-विमर्श करेंगे. इसके मद्देनजर 10 अक्तूबर...
More »विकास की आड़ में- अजेय कुमार
जनसत्ता 30 सितंबर, 2013 : यह महज संयोग है कि जिस दिन यानी तेरह सितंबर को सोलह दिसंबर के सामूहिक बलात्कार कांड के चारों दोषियों को अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाई जा रही थी, भाजपा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री पद का अपना उम्मीदवार घोषित कर रही थी। मोदी के राज में ही गुजरात का जनसंहार और हजारों महिलाओं और बालिकाओं की इज्जत से...
More »खनन से किसका हित, मिल कर सोचें- ।।किशन पटनायक।।
बिक्री लायक पदार्थो को ‘पण्य’(माल) कहा जाता है और उनके संग्रह को ‘संपत्ति’. आधुनिक समाज में संपत्ति को मूल्यों (रुपयों) में आंका जाता है. मैं अगर करोड़पति हूं, तो मेरी संपत्ति का मूल्य करोड़ों रुपयों में है. दुनिया में जितनी भी संपत्ति है, उनके मूल में हैं प्राकृतिक संसाधन. मेहनत, बुद्धि और मशीनों के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों से विभिन्न पण्य वस्तुओं को बनाया जाता है. मशीनें भी खनिज धातु यानी प्राकृतिक...
More »भ्रष्टाचार का भयावह मंजर- ज्ञान प्रकाश पिलानिया
जनसत्ता 17 सितंबर, 2013 : हाल ही में ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की ‘वैश्विक भ्रष्टाचार: बैरोमीटर-2013’ रिपोर्ट में एक बार फिर यह उजागर हुआ है कि भारत में भ्रष्टाचार दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले दुगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। विश्व के सत्ताईस फीसद लोगों ने कहा कि उन्होंने पिछले साल भर के दौरान रिश्वत देकर काम कराया है। लेकिन अकेले भारत में यह आंकड़ा चौवन फीसद रहा। यानी हर दो में...
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