नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकार की तमाम कोशिशों और दावों को धता बताते हुए खाद्य वस्तुओं की महंगाई काबू से बाहर होने लगी है। खाने-पीने की चीजों के महंगा होने से आम लोगों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। सब्जियों, फल और दूध के मूल्य बढ़ने से थोक मूल्यों पर आधारित खाद्य महंगाई की दर 11 फीसदी के पार पहुंच गई है। दालें और मोटे अनाज के स्थिर मूल्य भी चढ़ने लगे हैं।...
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जिंदल, टाटा, रिलायंस के प्लांटों पर ग्रहण
रांची [श्याम किशोर चौबे]। विद्युत उत्पादन के लिए झारखंड सरकार के साथ एमओयू करनेवाली 28 बड़ी कंपनियों पर तलवार लटक रही है। इन कंपनियों ने कुल मिलाकर 37,600 मेगावाट बिजली उत्पादन के समझौता ज्ञापन [एमओयू] पर हस्ताक्षर किए थे। यह बिजली झारखंड समेत अन्य राज्यों को सप्लाई की जाती। अब इन कंपनियों के एमओयू निरस्त करने का प्रस्ताव है, क्योंकि पावर प्लांट लगाने के लिए आवश्यक जमीन की व्यवस्था इनमें...
More »भारत और इंडिया का फर्क- सुनील खिलनानी
हमारा यह कहना सही है कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान और वैश्विक कारोबार में अपनी ऐतिहासिक हिस्सेदारी को फिर से प्राप्त कर रहा है। लेकिन इसके साथ-साथ कुछ अन्य अहम तथ्यों पर गौर करने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, गरीबी खत्म करने, जनकल्याण के लिए कुछ मूलभूत सुविधाएं जुटाने और नए खतरों को कम करने की क्षमता अब हमारे भीतर है। यह क्षमता होने के बावजूद हमने...
More »कृषि की कम होती भूमिका में खाद्य संकट- रवि शंकर
बढ़ती आबादी, औद्योगिकीकरण व अन्य कारणों से घटती जमीन, आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के कारण भारतीय कृषि भारी दबाव में है। यह सच है कि देश की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है। देश की 52 प्रतिशत श्रमशक्ति कृषि तथा इससे जुड़े क्षेत्रों से ही अपना जीविकोपार्जन कर रही है। फिर भी संकट का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में...
More »दस साल में दोगुनी हुई गाजियाबाद की आबादी
बढ़ते शहरीकरण का असर उत्तर प्रदेश के महानगरों पर सबसे ज्यादा पड़ा है। पिछले एक दशक के आंकड़ों पर नजर डालें तो गाजियाबाद और लखनऊ की आबादी में भारी बढ़ोतरी हुई है। गाजियाबाद की आबादी इन 10 वर्षो में 13.90 लाख बढ़ी है तो लखनऊ की जनसंख्या में 6.5 लाख का इजाफा हुआ है। गाजियाबाद देश का ऐसा पहला महानगर है जिसकी आबादी इन दस सालों में दोगुनी से भी...
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