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क्या सोचा क्या पाया

जिन सपनों को लेकर एक दशक पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उनमें से कितने सपने आंखों से उतरकर जमीन पर चल पाए हैं?  नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य दस साल का हो गया. दस साल की उम्र किसी राज्य का भविष्य तय करने के लिए काफी नहीं होती, पर ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ वाली कहावत के हिसाब से देखा जाए तो उस भविष्य का अंदाजा लगाने के...

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किसान-सरकार साझेदारी का मॉडल

भू-अर्जन कानून 1894 में मामूली सा संशोधन कर ग्रामसभा की भूमि का उपयोग बदले जाने के बावजूद भारत के गांवों के किसानों एवं भूमिहीनों के वंशजों का भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है। इस संशोधन का नाम सक्रिय समूहों ने किसान-सरकार साझेदारी तय किया है। अगस्त में उत्तर प्रदेश के जिरकपुर हुए किसान आंदोलन के बाद विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने एक स्वर में भू-अर्जन कानून 1894 में संशोधन की मांग की थी। मामला...

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तीन सौ रुपये गन्ना मूल्य नहीं तो होगा आंदोलन

बिजनौर । वर्तमान गन्ना पेराई सीजन में चीनी मिलें किसानों को तीन सौ रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से गन्ना मूल्य दें। अगर चीनी मिले ऐसा नहीं करेंगी और पेराई सीजन आरंभ करने में देरी करेंगी, तो भारतीय किसान यूनियन सरकार एवं चीनी मिलों के खिलाफ आंदोलन छेड़ेगी। यह घोषणा भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने बुधवार दोपहर दो बजे ग्राम रसीदपुर गढ़ी में आयोजित पत्रकार वार्ता में...

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43 वें दिन भी चला किसानों का धरना

अधिग्रहण की गई जमीन का मुआवजा बढ़ाने को लेकर चंदावली में चल रही किसानों की पंचायत 43 वें दिन भी जारी रही। धरने पर बैठे किसानों में सरकार के प्रति भारी नाराजगी बनी हुई है। उनका कहना है कि अगर किसानों की इसी तरह अनदेखी होती रही तो वे आने वाले दिनों में सबसे पहले सत्ता पक्ष के नेताओं का बहिष्कार किया जा सकता है। इसके बाद किसान इस आंदोलन...

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कोल्हू में पिसीं यूपी की चीनी मिल! -- सिद्घार्थ कलहंस

गन्ने की पेराई उत्तर प्रदेश में अभी शुरू भी नहीं हो सकी है और चीनी मिल मालिक मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं। देसी-विदेशी बाजारों में चीनी की कीमतें घट रही हैं, लेकिन गन्ना किसान उन पर इस साल भी ज्यादा कीमत देने का दबाव बना रहे हैं। रही-सही कसर कोल्हू मालिकों ने पूरी कर दी है, जो किसानों को मुंह मांगे भाव दे रहे हैं। दरअसल राज्य के किसान पिछले...

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