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प्याज 70-80 रुपये किलो पहुंची, स्टॉक की सीमा पर विचार कर रही है सरकार

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी और देश के अन्य हिस्सों में प्याज का खुदरा भाव 70 से 80 रुपये प्रति किलो की ऊंचाई पर पहुंच चुका है. ऐसे में केंद्र सरकार प्याज व्यापारियों के भंडारण की सीमा तय करने पर विचार कर रही है. सूत्रों का कहना है कि प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में मानसून की भारी बारिश से आपूर्ति प्रभावित हुई है जिसकी वजह से इसकी कीमतों में उछाल आया है. उपभोक्ता...

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पहली तिमाही में पांच फीसदी जीडीपी वृद्धि दर चौंकाने वाली: आरबीआई गवर्नर

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि दर कम होकर पांच प्रतिशत रहना ‘हैरत में डालने' वाला है. हालांकि, उन्होंने भरोसा जताया कि सरकार द्वारा हाल में उठाये गये कदमों से अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीने से अर्थव्यवस्था में सुस्ती दिखाई दे रही है, उसमें तेजी लाने के लिये केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में कटौती कर रहा...

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जुलाई में वाहन बिक्री में 19 साल की सबसे बड़ी गिरावट, 15,000 लोगों ने गंवाई नौकरी

नई दिल्ली: देश में जुलाई की वाहन बिक्री में 19 साल की 18.71 प्रतिशत की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है. वाहन उद्योग पिछले दो-तीन महीने से भारी दबाव झेल रहा है. इसके चलते क्षेत्र के 15,000 लोग अपनी नौकरी गंवा चुके हैं और 10 लाख से अधिक नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है. भारतीय वाहन विनिर्माताओं के संगठन ‘सियाम' की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल...

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भारत का संप्रभु बॉन्ड से पैसा जुटाने का फैसला काफी जोख़िम भरा है- एम के वेणु

ज्यादातर आर्थिक विशेषज्ञों ने घरेलू कल्याण और विकास कार्यक्रमों के वास्ते पैसा जुटाने के लिए विदेशों से डॉलर में कर्ज लेने के मोदी सरकार के फैसले के विरोध में आवाज उठाई है. यह पहली बार है कि कोई सरकार राजकोषीय घाटे के डॉलरीकरण का काम कर रही है. इसके पक्ष में दलील यह दी जा रही है कि इससे सरकार के ऋण-आधार का विस्तार होगा और चूंकि सरकार अपने कर्जे का...

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कहां ले जाएगी जल की अनदेखी -- रामचंद्र गुहा

बहुत साल हो गए, जब मेरा सामना पर्यावरण संबंधी जिम्मेदारी की चौंकानी वाली परिभाषा से हुआ था, ‘हम एक सीमित क्षेत्र के भीतर से जो कुछ भी चाहते हैं, उसका उत्पादन करते हैं, तो हम उत्पादन के तरीकों की निगरानी की स्थिति में होते हैं; जबकि अगर हम पृथ्वी के किसी अन्य छोर से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, तो वहां उत्पादन की स्थितियों की गारंटी देना हमारे लिए...

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