हर साल देश में करीब पचास हजार करोड़ रुपए का अनाज बर्बाद हो जाता है। एक ऐसे देश में जहां करोड़ों की आबादी को दो जून ठीक से खाना नहीं नसीब होता, वहां इतनी मात्रा में अनाजों की बर्बादी किस तरह की कहानी कहती है? इसकी पड़ताल कर रहे हैं रविशंकर। यह विडंबना नहीं, उसकी पराकाष्ठा है कि सरकार किसानों से खरीदे गए अनाज को खुले में छोड़कर अपना कर्तव्य पूरा...
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गौण खनिज : आईबीएन से मंजूर माइनिंग प्लान को ही मान्यता
रायपुर। भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएन) नागपुर से अनुमोदित माइनिंग प्लान को राज्य स्तरीय अधिकारियों से पुनः सहमति कराने की अनिवार्यता नहीं होगी। राज्य सरकार ने एक प्रकरण में भारतीय खान ब्यूरो से अनुमोदित माइनिंग प्लान को छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम के तहत मान्यता (इंडोर्समेंट) दे दी है। खनिज साधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम 2015 के अंतर्गत विभिन्न 31 गौण खनिजों को शामिल किया गया है। इन...
More »समस्याओं के शिखर, खाली होते पहाड़- अनिल प्रकाश जोशी
उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के पीछे सोच यह थी कि यहां की भौगोलिक परिस्थितियां और दुर्गमता विकास के अलग रास्ते की मांग करते हैं। स्थानीय लोगों को यकीन था कि उनके हालात को समझने की क्षमता मैदानी नीतिकारों में नहीं है। केंद्र को झुकना पड़ा और राज्य की मांग पूरी हुई। लेकिन अब पलटकर देखें, तो इन 15 वर्षों में उत्तराखंड को आठ मुख्यमंत्रियों के अलावा शायद ही कोई...
More »'ऐसा अकाल 35 साल में मैंने कभी नहीं देखा'
छत्तीसगढ़ के उत्तर मरवाही इलाके के गांव डेडिया में लोगों ने अब सूखते खेतों में जाकर बारिश के लिए प्रार्थना करना छोड़ दिया है. साठ दिन पुराने धान की हल्की किस्मों की फसल से अब उम्मीद नहीं रही कि अब वो पनप पाएंगी. गांव के लोगों ने एक दिन तय कर लिया कि पूरा खेत मवेशियों के लिए छोड़ दिया जाए. गांव के फ़ैसले के बाद चरवाहा लवन सिंह खेतों में जाकर...
More »'बैंक-बीमा कंपनियां ठग रहे हैं किसान को'-- योगेन्द्र यादव
किसानों के लिए फ़सल का बीमा सुनने में बहुत अच्छा विचार लगता है लेकिन असल में जब किसान बैंक से क़र्ज़ लेता है तो बिना उससे पूछे, बिना उसकी अनुमति लिए ज़बर्दस्ती उसके अकाउंट से पैसा काटकर बीमा करवा दिया जाता है. बीमा करवाना है या नहीं इसका फ़ैसला किसान नहीं ले सकता. बीमा किस कंपनी से करवाना है, किन शर्तों पर करवाना है यह भी किसान के हाथ में नहीं....
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