चार युवाओं ने 25 मई, 1974 को हिमालय पर एक लंबी पदयात्रा की शुरुआत की। ये चारों उस लोकप्रिय उत्तराखंड आंदोलन के कार्यकर्ता थे, जिसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश के पर्वतीय जिलों को मिलाकर एक पृथक राज्य की स्थापना करना था। ये लंबे समय से उपेक्षित रहे जिले थे, जिनका सस्ते श्रम और प्राकृतिक संसाधनों को लेकर दोहन तो भरपूर हुआ, मगर बदले में अपेक्षित सम्मान के लिए ये हमेशा तरसते रहे।...
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हिमाचल प्रदेश: बंदर और चमगादड़ बने चुनावी मुद्दा
आम चुनाव के दौर में हिमाचल प्रदेश में बंदर और चमगादड़ भी मुद्दा बन गए हैं। दरअसल ये जीव फसलों का काफी नुकसान करते हैं जिसकी मार किसानों पर पड़ती है। यही वजह है कि राज्य के किसान इन जीवों से अपनी फसल बचाने के लिए किसी पुख्ता व्यवस्था की मांग सरकार से करते रहे हैं। बंदरों का उत्पात तो हिमाचल प्रदेश के चुनावों में पहले से गंभीर मुद्दा बनता रहा...
More »अप्रैल की बारिश से वनोपज फसलों को भारी नुकसान - सचिन चतुर्वेदी
मुश्किल : बारिश के चलते पहाड़ी एवं मैदानी इलाकों में रबी फसल भी प्रभावित प्रभावित मौसम की मार तैयार खड़ी रबी फसलों और जंगलों में मौजूद वनोपज पर पड़ा अलग-अलग इलाकों में आए अंधड़-पानी ने साल बीज को काफी क्षति पहुंचाई इससे पहले पानी के चलते इमली की फसल को काफी नुकसान हुआ था 50' तक फसल बरबाद हुई है संग्राहकों के मुताबिक इस बार साल बीज की छत्तीसगढ़ में इस साल की शुरुआत से मौसम...
More »21वीं सदी में गांव की उम्मीद की डोर
रांची जिले के बुढ़मू में मनरेगा की एक योजना के तहत कुआं निर्माण का कार्य करती युवतियां इस बात का प्रमाण हैं कि 21वीं सदी में गांव को ऐसे कानून व कार्यक्रम मिले हैं, जिनसे उनका पलायन रुके व उन्हें घर पर ही रोजी-रोटी मिले. इस तरह के और भी कई कार्यक्रम व कानून हैं, जिससे गांवों की सूरत पिछली सदी की तुलना में काफी बदल गयी है. हालांकि इनके...
More »नमक के नए दारोगा- विकास नारायण राय
जनसत्ता 11 अप्रैल, 2014 : संसाधन घोटालों (कोयला, लोहा, गैस, तेल, रेत, जल, जंगल, जमीन) से बोझिल राजनीतिक वातावरण में, देश के शासन का ईमानदारी से संचालन, 2014 के चुनावी घोषणापत्रों की एक प्रमुख थीम है। तीस हजार करोड़ रुपए चुनाव में दांव पर लगाने वाले राजनीतिकों में होड़ है कि अगला ‘नमक का दारोगा’ कौन बनेगा! नमक जैसे सुलभ पदार्थ को औपनिवेशिक लूट का जरिया बनाए जाने की पृष्ठभूमि...
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