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धरती पर गर्मी बढने से 15 करोड़ लोगों पर असर : रिपोर्ट

जलवायु परिवर्तन का खतरा बढ़ता जा रहा है। लांसेट जर्नल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार सन 2000 से 2017 के बीच में विश्व में करीब 15.70 करोड़ अतिरिक्त लोग भयंकर गर्मी के कारण जोखिम के दायरे में आ गए। यह आंकड़ा 2016 की तुलना में भी 1.8 करोड़ ज्यादा है। बढ़ती गर्मी से इन लोगों के स्वास्थ्य, रहन-सहन एवं कामकाज के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा हुई। रिपोर्ट में कहा गया...

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प्राथमिकता नहीं है पर्यावरण-- ज्ञानेन्द्र रावत

पर्यावरण क्षरण का प्रश्न आज समूचे विश्व के लिए गंभीर चिंता का विषय है. कई रिपोर्टों, वैज्ञानिक अध्ययनों और शोधों ने रेखांकित किया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण उपजे खराब मौसम से प्रलयंकारी घटनाएं बढ़ेंगी. तेजी से बढ़ते तापमान के चलते गर्मी में लोगों की मौत का सिलसिला बढ़ेगा. ग्लेशियरों का पिघलना तेज होगा, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ेगा. ऐसे में बाढ़ की विभीषिका का सामना करना आसान नहीं...

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मलेरिया के मामलों में आयी कमी, लेकिन बड़ी चुनौतियां बरकरार

पूर्व एशिया सम्मेलन 2015 में प्रधानमंत्री ने कहा था कि 2030 तक भारत मलेरिया उन्मूलन के लिए पूर्णत: प्रतिबद्ध है. इसी संकल्प के साथ बीते वर्ष मलेरिया मुक्ति के लिए व्यापक राष्ट्रीय सामरिक योजना शुरू की गयी. सार्वजनिक स्वास्थ्य की तमाम चुनौतियों बावजूद इस दिशा में किये जा रहे प्रयास सफल होते नजर आ रहे हैं. हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी विश्व मलेरिया रिपोर्ट-2018 के अनुसार, भारत...

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45 परिवारों की जिंदगी झोपड़ी में, 55 वर्षों में न अनाज मिला

रामगढ़ शहर से 15 किलोमीटर दूर कुजू-घाटो मुख्य सड़क से उतरने पर बमुश्किल 200 मीटर दूर कुंदरिया बस्ती का मल्हार टोला़ इस टोले तक जाने के लिए पथरीली संकरी सड़क, जंगल के बीच एक ऊंचे टीले पर प्लास्टिक से बनी दर्जनों झोपड़िया़ं जंगल की सूखी झाड़ियों की घेराबंदी कर बांस-बल्ली में प्लास्टिक लगा कर लाेगाें ने 40 से 50 झोपड़ी बना लिये़ ये कोई खानाबदोश नहीं, बल्कि अपने झारखंड...

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क्या कभी उनका सही आकलन होगा-- हरजिंदर

हम आज उनकी 129वीं जयंती मना रहे हैं, और जब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा था, उसे भी आधी सदी से ज्यादा का समय बीत चुका है। लेकिन इस लंबे दौर में देश के पहले प्रधानमंत्री और महात्मा गांधी के बाद उस दौर के निस्संदेह सबसे लोकप्रिय नेता जवाहरलाल नेहरू का शायद ही कभी ईमानदार विश्लेषण सामने आया हो। शुरू के दौर में तो शायद वह आ भी नहीं...

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