जनसत्ता 30 सितंबर, 2013 : यह महज संयोग है कि जिस दिन यानी तेरह सितंबर को सोलह दिसंबर के सामूहिक बलात्कार कांड के चारों दोषियों को अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाई जा रही थी, भाजपा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री पद का अपना उम्मीदवार घोषित कर रही थी। मोदी के राज में ही गुजरात का जनसंहार और हजारों महिलाओं और बालिकाओं की इज्जत से...
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विदेश में इलाज का मर्ज- मृणालिनी शर्मा
जनसत्ता 26 सितंबर, 2013 : भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने हाल ही में चुपके से एक फैसला लिया है, जिसके अनुसार भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा और वन सेवा जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के लगभग पांच हजार कर्मचारी अपने इलाज के लिए विदेश जा सकते हैं। विदेश जाने का हवाई किराया और वहां दो महीने तक रहने का खर्च भी सरकार उठाएगी। दो महीने की यह अवधि अगर जरूरी...
More »नेताओं के एजेंडे में नहीं है आम आदमी - तवलीन सिंह
कई विद्वानों का मानना है कि भारतवासी भारत में रहकर वैसी कामयाबी हासिल नहीं कर सकते, जो विदेशों में पहुंचते ही उनको नसीब हो जाती है। इस बार न्यूयॉर्क में मुझे इस बात की सच्चाई का गहरा एहसास हुआ। जिस दिन यहां पहुंची एक पारसी दोस्त की बेटी की शादी में कानक्टीकट जाना हुआ और रास्ते में पता चला कि गाड़ी का ड्राइवर देसी था। उसके साथ बातें शुरू हुई, तो पता...
More »...जब 25,000 बच्चों ने प्रधानमंत्री को भेजा पत्र
देश के 25,000 से अधिक बच्चों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पोस्टकार्ड भेजकर आग्रह किया है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68वें अधिवेशन में वह उनसे जुड़े मुद्दों को ध्यान में रखें। यह जानकारी गैरसरकारी संगठन, वर्ल्ड विजन इंडिया ने दी है। संगठन के मुताबिक, देश के 40 करोड़ बच्चों की आवाज के रूप में 25,000 पोस्टकार्ड प्रधानमंत्री को भेजे गए हैं, जिसमें उन्हें 2015 के शहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (एडीजी)...
More »'हम ना मुसलमान हैं, ना हिंदू, हम तो गरीब हैं...'- दिलनवाज पाशा
मुज़फ़्फ़रनगर दंगों ने हज़ारों लोगों को शरणार्थी बना दिया। राहत कैंपों में पड़े लोगों की दुनिया चंद घंटों में बदल गई। शामली के लिसाढ़ गांव के मोहम्मद यासीन कांधला के एक राहत शिविर में रह रहे हैं। यासीन राहत कैंपों के शरणार्थियों की कहानी बयां कर रहे हैं। उनकी बातें समाज और सरकार के सामने कई गंभीर सवाल खड़े करती हैं वे कहते हैं, ''हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे...
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