सरकार ने गौमूत्र सहित गाय से जुड़े पदार्थों और उनके लाभ पर वैज्ञानिक रूप से विधिमान्य अनुसंधान करने के लिए 19 सदस्यीय समिति बनाई है जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के तीन सदस्यों को शामिल किया गया है। एक अंतरविभागीय सर्कुलर और समिति के सदस्यों ने यह जानकारी दी। सर्कुलर के अनुसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन की अध्यक्षता वाली समिति ऐसी परियोजनाओं को चुनेगी...
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कौशल विकास योजना के सबक-- संजय रोकड़े
आदर्श ग्राम योजना, मेक इन इंडिया, मुद्रा योजना की तरह कौशल विकास योजना को लेकर भी बड़ी-बड़ी बातें की गर्इं। लेकिन जब सरकार ने इस योजना की सच्चाई जानने के लिए धरातल पर एक आंतरिक सर्वे करवाया तो बहुत चिंताजनक स्थिति सामने आई। कौशल विकास योजना को संचालित करने वाले मंत्रालय की आंतरिक आॅडिट रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट रूप से जिक्र है कि सरकार द्वारा अनुदान-प्राप्त करीब सात...
More »अब नई टेलीकॉम नीति लाने का वक्त-- राजीव चंद्रशेखर
देश में दूरसंचार के क्षेत्र में सुधार लागू होने का पच्चीसवां साल चल रहा है, जो अगले साल पूरा होगा। आधुनिक भारत के इतिहास में ये सुधार मील का महत्वपूर्ण पत्थर है। 1993 में ही चार प्रमुख महानगरों में निजी कंपनियों को सेल्यूलर टेलीफोनिंग के लाइसेंस दिए गए थे। यह वह समय था जब फोन कनेक्शन की वेटिंग लिस्ट 3-4 साल की होती थी और फोन से जुड़ी शब्दावली में...
More »अंग्रेजी की दीवार गिराए बिना नहीं मिलेगी हिंदी को जमीन-- आशुतोष कुमार
हिंदी को लेकर माहौल फिर गर्म होने लगा है। इसके पीछे दो केंद्रीय मंत्रियों के ताजा बयान हैं। एक ने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। सच्चाई यही है कि संविधान में राष्ट्रभाषा की कोई अवधारणा नहीं है। हिंदी सरकारी भाषा है, अंग्रेजी के साथ-साथ। संविधान लागू करते समय कहा गया था कि अगले पंद्रह वर्षों में अंग्रेजी हटा दी जाएगी। लेकिन गैर हिंदीभाषी राज्यों के विरोध के कारण ऐसा...
More »डिजिटल मीडिया का सच-- अरिमर्दन कुमार त्रिपाठी
भारतीय लोकतंत्र की व्यापक परिधि में आज भी वह परिपक्वता नहीं है, जो किसी स्वस्थ समाज और लोक कल्याणकारी राज्य के लिए आवश्यक है। समाज में गरीबी, कम शिक्षा दर, सांप्रदायिक सोच, जातीय उन्माद, जेंडरगत कुंठा, व्यक्तिगत स्वार्थपरता और पूंजी के शातिराना खेल ने जिस परिवेश को बढ़ाया है, उसमें लोकतांत्रिक मूल्यों का लगातार क्षरण हो रहा है। जबकि देश में मीडिया के प्रति विश्वसनीयता की लंबी परंपरा रही है।...
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