संगरूर-बाढ़ का पानी बेशक उतरने लगा हो, लेकिन खौफ व दर्द अब भी इनकी आंखों के आंसू सूखने नहीं दे रहा। जान बच गई बस यही काफी है। पानी ने जिंदगी की जो रफ्तार एकाएक रोक दी, वह कब रवानी पकड़ेगी क्या मालूम। अभी तो यह चिंता साल रही है कि कहीं फिर आसमान रूठा तो रही सही कसर पूरी हो जाएगी। लोग कभी अपने घरों की दरारों को देखते हैं...
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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »बगैर मुआवजा दिये किसानों की जमीन पर कब्जा, हंगामा
बिहटा मेगा औद्योगिक पार्क के लिये अधिग्रहीत जमीन पर शुक्रवार को कब्जा दिलाने पहुंची प्रशासन की टीम को भारी फजीहत का सामना करना पड़ा। बगैर मुआवजे के जमीन पर कब्जा दिलाने को कोई किसान तैयार नहीं थे। हालांकि प्रशासन ने भारी पुलिसिया बंदोबस्त के बीच हिन्दुस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड को जमीन पर कब्जा तो दिला दिया परंतु किसानों के आक्रोश को दबा नहीं सका। वहीं दूसरी ओर, प्रशासन...
More »जमींदारों की जमीन पर कब्जा करेगी माकपा
पटना, जागरण संवाददाता। माकपा ने बिहार में भूमिहीनों के लिए आर-पार की लड़ाई छेड़ने का मन बनाया है। पार्टी की नेता बृंदा करात ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चेताया है कि वे राज्य में सीलिंग से अधिक जमीन वाले जमींदारों की भूमि को भूमिहीनों के बीच वितरित करें अन्यथा माकपा ऐसी भूमि पर कब्जा कराएगी। वह सोमवार को पटना में आर ब्लाक चौराहे पर एक रैली को संबोधित...
More »किसान मरे नहीं तो क्या करे--- देविंदर शर्मा
भारत में किसानों की आत्महत्या को लेकर छिड़ी बहस के बीच अमरीका में किसानों को अनुदान दिए जाने के बारे में एक दिलचस्प रिपोर्ट आई. 1997 से 2008 के बीच भारत में करीब दो लाख किसानों ने बढ़ते कर्ज के कारण होने वाले अपमान से बचने के लिए अपनी जान देने का आत्मघाती कदम उठाया. इन किसानों को सरकार से किसी प्रकार की सीधी सहायता नहीं मिली थी. अमरीका ने 1995...
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