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शिक्षा के नाम पर राजनीति- मनीषा प्रियम

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षामित्रों की नियुक्ति रद्द करने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक फैसले से देश में बच्चों की शिक्षा को लेकर राजनेताओं की मंशा पर सवाल पैदा हुआ है। मुद्दा उत्तर प्रदेश में यह था कि मायावती की सरकार ने 1999 में शिक्षकों की नियुक्ति संविदा के आधार पर की। ये शिक्षक पंचायत शिक्षामित्र कहलाए। इनके लिए वांछित न्यूनतम योग्यता पूर्णकालिक शिक्षकों के लिए...

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दर्शकों तक पहुंचने की कठिन डगर - मृणाल पांडे

किसी भी लोकतांत्रिक देश की सरकार और आम आबादी के बीच सहज-सतत संवाद हर कल्याणकारी राज्यव्यवस्था की बुनियादी जरूरत होती है। जब सरकार ने (बीसवीं सदी के अंतिम दशक में) सूचना प्रसार मंत्रालय की मातहती में चलाई जाती रही रेडियो-टीवी की प्रसारण सेवाओं को प्रसार भारती नामक स्वायत्त इकाई को सौंपा था तो शायद उसके पीछे उसके मार्फत राज्य व नागरिकों के बीच एक भरोसेमंद-मजबूत पुल बनाने का ही लक्ष्य...

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पाटीदार आंदोलन की पृष्ठभूमि को समझिए- आकार पटेल

गुजरात के पाटीदार आंदोलन को समझने के लिए उसकी पृष्ठभूमि को जानना जरूरी है. मंडल कमीशन की सिफारिशें कार्यान्वित किये जाने के पूर्व ही गुजरात में अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त अन्य समुदायों के लिए भी आरक्षण लागू हो चुका था.  बख्शी कमीशन द्वारा चिह्न्ति सामाजिक तथा आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए गुजरात में 1970 के दशक में 10 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण भी दिया गया. इसमें...

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ख्वाब नहीं, सुविधाएं दीजिए- भरत झुनझुनवाला

केंद्रीय हाउसिंग मंत्रलय ने गरीबों के लिए मकान बनाने को राज्य सरकारों से आग्रह किया है. मंत्रलय ने तीस लाख घर प्रति वर्ष बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस योजना को राज्य सरकारों के माध्यम से लागू किया जायेगा. योजना के अंतर्गत गरीब परिवारों को ब्याज पर 6.5 प्रतिशत की सब्सिडी दी जायेगी. यदि गरीब परिवार को बैंक से 12 प्रतिशत की दर से ऋण मिलता है, तो उसे...

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आरक्षण की नीति के खतरे - संजय गुप्‍त

गुजरात में अनुभवहीन युवा नेता हार्दिक पटेल की ओर से अपने समुदाय को गोलबंद कर जिस तरह आरक्षण की मांग की गई और जिससे राज्य के कई इलाकों में जो हिंसा भड़क उठी, उससे आरक्षण का मसला एक बार फिर राजनीतिक बहस के केद्र में आ गया है। आजादी के बाद अनुसूचित जातियों और जनजातियों को सामाजिक-आर्थिक रूप से मुख्यधारा में लाने के लिए उन्हें दस वर्षों के लिए सरकारी...

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