अपने चुनावी अभियान में मोदी सरकार ने महिलाओं में ‘सुरक्षित दिनों' की खूब उम्मीदें जगाई थीं, लेकिन पिछले बजट में इसे लेकर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई। उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस बजट में महिला सुरक्षा को लेकर बड़े ऐलान कर सकती है। महिलाओं के लिए शिक्षा और रोजगार में नए अवसर पैदा करने वाली योजनाएं भी लाई जा सकती हैं। पांच बड़े वादे संविधान संशोधन के जरिए...
More »SEARCH RESULT
महंगी पड़ेगी मुफ्तखोरी की राजनीति - हृदयनारायण दीक्षित
धनार्जन बहुत कठिन नहीं होता, लेकिन खर्च की प्राथमिकता तय करना बहुत कठिन है। राजकोष राष्ट्रीय संपदा है। भारत के लोगों की श्रम साधना से संचित निधि। इसका विनियोग-सदुपयोग राष्ट्रीय विकास के लिए ही किया जाना चाहिए। संविधान निर्माताओं ने बहुमत प्राप्त सरकार को भी मनमाने खर्च की छूट नहीं दी। संसद और विधानमंडल आय और व्यय के प्रत्येक बिंदु पर विचार करते हैं, बजट पारित करते हैं। खर्च अधिकार...
More »लूट का अध्यादेश- के सी त्यागी
बाईस दिसंबर को संसद का सत्र समाप्त होने के तुरंत बाद सरकार द्वारा जारी अध्यादेश से जहां बिल्डर समुदाय और कॉरपोरेट घराने गदगद हैं वहीं दूसरी ओर किसान फिर पुरानी शंकाओं से भयभीत हैं। वित्तमंत्री अरुण जेटली कुशल अधिवक्ता हैं, वे अपनी सरकार द्वारा किए गए इन बदलावों को बड़ी चतुराई से शब्दों का ताना-बाना बुन कर किसानों के हित में बताने का विफल प्रयास कर रहे हैं। पर शायद...
More »क्या देश में फांसी की सजा खत्म कर देनी चाहिए?
दिल्ली से सटे नोएडा के निठारी कांड में दोषी ठहराए गए सुरिंदर कोली को मिली मौत की सज़ा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रक़ैद में बदल दी तो ये सवाल फिर उठा की क्या फांसी की सज़ा उचित है। सुरिंदर कोली की दया याचिका राष्ट्रपति पहले ही ठुकरा चुके हैं और अगर सुप्रीम कोर्ट ने दो बार सज़ा टाली न होती तो अब तक उन्हें फांसी दी जा चुकी होती। जिस शख्स की...
More »दो अतियों के बीच स्वास्थ्य सेवा- अतुल गवांडे
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन के प्रोफेसर अतुल गवांडे, जो एक सर्जन होने के साथ-साथ लेखक, विचारक और राजनीतिक विश्लेषक भी हैं, ने बीबीसी रीथ लेक्चर्स के तहत 2014 में चिकित्सा का भविष्य पर चार भाषण दिये. आज हम चौथा लेक्चर प्रकाशित कर रहे हैं, जो उन्होंने दिल्ली में दिया. इसका विषय था-‘द आइडिया ऑफ वेलबीइंग' (अच्छी सेहत की परिकल्पना). इसमें उन्होंने बताया कि एक तरफ लोगों की चिकित्सा तक...
More »